राघवन ने अपनी आत्मकथा में खोला गुजरात दंगों के पीछे का राज़, कहा ‘मोदी को किया था प्रताड़ित’


सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आरके राघवन ने अपनी आत्मकथा में सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है, कि 2002 गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के वजह को लेकर पीएम के विरोधियों ने उन्हें प्रताड़ित किया. राघवन के आरोपों के बाद एक बार फिर गुजरात दंगों को लेकर सियासत तेज होती नज़र आ रही है.

आरके राघवन की किताब ‘ए रोड वेल ट्रैवल्ड’ नाम से लिखी आत्मकथा में लिखा है. ”उन्होंने मेरे खिलाफ याचिकाएं लगाईं, सीएम के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया, केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करते हुए फोन पर मेरी बातचीत की निगरानी की, वे कोई दोष नहीं पाए जाने को लेकर निराश थे.”

सांप्रदायिक दंगों में मोदी की मिलीभगत के लगे आरोपों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए गठित एसआईटी की अगुआई राघवन ने ही की थी. उन्होंने दावा किया है, कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के रोल को लेकर एसआईटी का स्टैंड उनके विरोधियों की रुची के विपरीत था. उन्होंने पूर्व आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट की ओर से लगाए गए आरोपों को भी गलत बताया. भट्ट ने आरोप लगाया था, कि 28 फरवरी 2002 को देर रात हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को आदेश दिया था, कि हिंदुओं को अपनी भावना का इजहार करने से ना रोका जाए. राघवन ने अपनी किताब में दावा किया है कि आरोपों सही साबित नहीं हो पाए थे.

राघवन बताते हैं, कि जांच के दौरान मोदी से पूछताछ एक अहम घटना थी. राघवन किताब में लिखते हैं, ”राज्य प्रशासन पर लगाए गए आरोपों को लेकर हमें मोदी से पूछताछ करनी थी. हमने उनके स्टाफ तक यह संदेश भेजा कि उन्हें इसके लिए खुद एसआईटी ऑफिस आना पड़ेगा और कहीं और मुलाकात को फेवर के रूप में देखा जाएगा. वह गांधीनर में एसआईटी ऑफिस में पूछताछ के लिए आने को तैयार हो गए.” राघवन कहते हैं, कि उन्होंने मोदी से पूछताछ के लिए एसआईटी के सदस्य अशोक मल्होत्रा को चुना. उनके अलग रहने से कई लोग सोच में पड़ गए थे.

राघवन ने किताब में लिखा है, ”मोदी से पूछताछ 9 घंटे तक चली. मल्होत्रा ने मुझे बताया, कि देर रात को पूछताछ खत्म होने तक मोदी बेहद शांत रहे. उन्होंने कभी सवालों को टाला नहीं.” कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री और उनके अधिकारि दंगे की घटना में शामिल थे, इस संदर्भ में कहा कि एसआईटी की जांच में यह नहीं पाया गया कि मुख्यमंत्री दोषी थे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री का गुनेहगार ना पाया जाना भी उनके विरोधियों के लिए चिंता जनक था. लेकिन इतना सब होने के बाद भी नरेंद्र मोदी ने हार ना मानी और पूरे देश को अपनी सचाई के दम पर जीत के वे आज देश के प्रधानमंत्री बने हैं.

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