भारतीय मीडिया और भारतीय सोशल मीडिया ने ‘वन चाइना’ के मिथक की धज्जियां उड़ा दी है

 


चीन अपनी वन चाइना पॉलिसी और ताइवान को लेकर घबरा गया है। पूरी दुनिया इस मसले पर चीन की धड़कन बढ़ा रही है। भारतीय मेन स्ट्रीम से लेकर सोशल मीडिया ने भी ताइवान को लेकर चीन की मुश्किलें  दो गुनी कर दी हैं। ताइवान के नेशनल-डे पर जिस तरह से भारतीय सोशल मीडिया ने ताइवान की आजादी का झंडा बुलंद किया है और ताइवान के नेताओं का भारतीय मीडिया जिस तरह से इंटरव्यू ले रही है वो चीन को परेशान कर रहा है। भारतीय मीडिया के इस रवैए ने ही चीन की ताइवान को लेकर वन चाइना पॉलिसी की कल्पनाओं को ध्वस्त कर दिया है।

हाल ही में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का भारत के मीडिया ग्रुप इंडिया टुडे ने एक इंटरव्यू लिया था जिसमें ताइवान के सभी मसलों पर उन्होंने चर्चा की थी । पहले से ही वैश्विक मोर्चे पर अलग-थलग पड़े चीन के लिए ये साक्षात्कार असहज करने वाला था। इस साक्षात्कार के बाद ही भारत में चीनी दूतावास के हाथ पैर फूल गए और इस मामले में बयान आया ये साक्षात्कार चीन की वन चाइना पॉलिसी के लिए भारतीय मीडिया द्वारा उठाया गया बेहद ही आलोचनात्मक कदम है, क्योंकि ये हमारी नीति का उल्लंघन है। भारत को लेकर कह गया कि सभी देशों को चीन की वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करना चाहिए और भारत सरकार का आधिकारिक रुख भी यही है।

गौरतलब है कि हमने आपको अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय सत्ताधारी दल के नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दिल्ली में चीन के दातावास के पास ताइवान के नेशनल-डे से जुड़े पोस्टर लगाए गए थे। यही नहीं भारतीय सोशल मीडिया पर तो इसको लेकर बकायदा कैंपेन और हैशटैग चलाए गया था। इस पूरे कैंपन को लेकर ताइवान ने भी भारतीयों की तारीफ करने के साथ ही उनके इस अभियान में जुड़ने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया था।

इस पूरे मसले पर चीन को सबसे ज्यादा झटका लगा था जिसके चलते उसके मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत को गीदड़ भभकियां देना शुरू कर दिया था। भारत को लेकर चीन की तरफ से कहा गया कि चीन की वन चाइना पॉलिसी के साथ खिलवाड़ करके भारतीय मीडिया आग से खेल रही है। इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। ग्लोबल टाइम्स की तरफ से कहा गया कि नई दिल्ली को ताइपे के साथ संबंधों से दूरियां बनानी चाहिए। चीन सोच रहा है कि उसके देश की तरह ही भारत में भी तानाशाही है, लेकिन ऐसा नहीं है। भारतीय सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि भारत में मीडिया को पूरी आजादी है। ऐसे में भारतीय मीडिया ताइवान को लेकर कुछ भी दिखाने या प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र है।

भारतीय मीडिया को लगातार धमकियां मिलती रहीं हैं लेकिन उसने इन बातों की तनिक भी परवाह नहीं की। ताइवान के नेशनल-डे से लेकर अब तक लगातार मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल साइट्स पर ताइवान के समर्थन और चीन की वन चाइना पॉलिसी की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं  औऱ उससे जुड़ी हर खबर प्रकाशित औऱ प्रसारित की जा रही है जिससे चीन की सांसे ऊपर-नीचे होने लगी हैं।

इस पूरे मसले पर बोलकर न केवल भारत धमकियां देने वाले चीन की कमजोर नब्ज पर तीखा वार कर रहा है, बल्कि ताइवान को भी अपनी संप्रभुता के मुद्दे पर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का साथ मिल गया है। इस मौके को ताइवान भी लपक कर भारतीय मीडिया की प्रशंसा कर रहा है। चीन इस बात से बेहद परेशान है कि जब भारत सरकार की आधिकारिक लाइन वन चाइना पॉलिसी पर टिकी हुई है तो फिर भारतीय मीडिया इस तरह के अभियान क्यों चला रही है। हमने देखा है कि किस तरह से चीनी सरकार WION, TOI,  INDIA TODAY जैसे भारतीय मीडिया संस्थानों को धमका रही है कि वो भी वन चाइना पॉलिसी का पालने करें। चीन की इन धमकियों के बावजूद भारतीय मीडिया संस्थानों का इस बात पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। चीन ये समझ गया है कि स्वतंत्र मीडिया के नाम पर भारत चीन को धमकाने की कोशिशें कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स इस बात को कह चुका है कि भारतीय सरकार असल में स्वतंत्र प्रेस के नाम पर उनकी वकालत कर रही है।

ऐसे में भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया ने जिस तरह से ताइवान के हक की आवाज उठाई है उससे चीन को झटका लगा है। सरकार की मदद के बिना ही भारतीय मीडिया ने चीन की वन चीइना पॉलिसी की हवा निकाल दी है, जो कि उसे अब महंगी पड़ रही है और वैश्विक बेइज्जती तो उसे झेलनी ही पड़ रही है।

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