शिवसेना अब अपने आलोचकों को पीट कर और गिरफ्तार कर अपनी नाकामियों को छिपा रही है


महाराष्ट्र में तानाशाही के सबूत अब दिखने लगे है, जहां आलोचकों की आवाज दबाने के लिए अब ठाकरे सरकार साम दाम दण्ड भेद जैसी नीतियां अपना रही है। ताजा मामला समीत ठक्कर नाम के एक शख्स का है जो सोशल मीडिया साइट्स पर अपना मत रखते रहते हैं। उन्हें आदित्य ठाकरे को ट्विटर पर आधुनिक औरंगजेब कहने पर नागपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है जिसके बाद ट्विटर पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा है और लगातार शिवसेना सरकार की आलोचना की जा रही है।

सरकार की आलोचना पर समीत ठक्कर की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार कितनी असहिष्णु हो गई है। मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर भी महाराष्ट्र में प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं। रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी और उनकी एडिटोरियल टीम के 1000 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करना इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि महाविकास अघाड़ी सरकार अब अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

ऐसा पिछले एक साल में पहले भी कई बार देखा गया है कि शिवसेना के कार्यकर्ता विरोधियों के खिलाफ गुंडई का रूप अख्तियार कर लेते हैं। सरकार के खिलाफ बोलने पर कभी-भी किसी को प्रताड़ित करना ये साफ संकेत देने लगा है कि महाराष्ट्र में अब गुंडाराज चरम पर है जिसे अंदरखाने से  सत्ता का समर्थन प्राप्त है।

जनता ये बात समझने लगी है कि यहां विरोधियों और स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। महाराष्ट्र सरकार बदले की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसका प्रमाण वरिष्ठ पत्रकारों पर लगातार हो रही कार्रवाइयां हैं। रिपब्लिक टीवी पर लगातार हो रही कार्रवाइयों में मुंबई पुलिस कमिश्नर पिछले तीन वर्षों का लेखा-जोखा निकाल रहे हैं। कॉफी मशीन से लेकर स्टेशनरी तक का ब्योरा मांगना इस बात का प्रमाण है कि सारी कार्रवाई केवल बदले की मंशा से ही हो रही है।हजारों कर्मियों को केवल इसलिए मुंबई पुलिस पूछताछ के लिए बुला रही है क्योंकि वो रिपब्लिक टीवी से जुड़े हैं। रिपब्लिक पर कार्रवाई के अलावा हम सभी देख चुके हैं कि शिवसेना के गुंडों ने 62 वर्षीय सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी मदन शर्मा को सड़क पर पीटा था।

सरकार बनने के कुछ समय बाद ही पार्टी के गुंडों ने एक शख्स को पीटा था, जिसने उद्धव ठाकरे द्वारा जामिया मिल्लिया में हुए कांड की तुलना जलियांवाला बाग से करने पर उद्धव ठाकरे की आलोचना की थी। हालांकि, इन गुंडों को पता था कि उन्हें संरक्षण मिलेगा क्योंकि उनकी पार्टी की सरकार है और हुआ भी वही।

एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाकर शिवसेना ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। पार्टी और सरकार की जमकर आलोचना की जा रही है। इसीलिए सरकार लोगों की बातों और विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। रिपब्लिक पर लगातार हो रही बदले की कार्रवाई और लोगों की आवाज को दबाया जाना इस बात का प्रमाण है कि महाराष्ट्र में सरकार किसी भी हद तक जाकर बल प्रयोग के जरिए नागरिकों को परेशान करती रहेगी, और अपनी तानशाही को अनुशासन का नाम देकर आलोचकों का गला घोंटती रहेगी।

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