चाहे कश्मीर हो या पोखरण फ्रांस हर बार भारत के साथ खड़ा रहा, आज फ्रांस को जब जरूरत है तो भारत उसके साथ मजबूती से खड़ा है

 


फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron ने कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया हुआ है, और भारत अपने पुराने साथी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। भारत का समर्थन इतना मजबूत है कि पिछले तीन दिनों में ही भारत सरकार चार बार फ्रांस सरकार को अपना समर्थन जता चुकी है। फ्रांस और भारत, दोनों देशों के संबंध दशकों पुराने हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार फ्रांस इसे साबित भी कर चुका है। अब radical इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में जब उन्हें कट्टरपंथी ताकतों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, तो भारत फ्रांस को खुला समर्थन देकर अपनी वही पुरानी दोस्ती निभा रहा है।

एशिया में भारत इकलौता ऐसा बड़ा देश है, जो इस मुद्दे पर खुलकर फ्रांस के साथ खड़ा है। भारत ही ऐसा पहला गैर-पश्चिमी देश है, जिसने इस संवेदनशील मुद्दे पर एक पक्ष का साथ देने का ऐलान किया है, वो भी इतनी मजबूती के साथ! भारत वह देश है, जिसने अर्मेनिया-अज़रबैजान विवाद में कोई पक्ष नहीं लिया; भारत ने ऊईगर के मुद्दे पर अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है; दूसरों के विवाद में टांग ना अड़ाने वाले भारत ने इस बार अपने दोस्त के साथ खड़ा होने का फैसला लिया, जो कि भारत की विदेश नीति में एक बड़े बदलाव को दिखाता है। फ्रांस का समर्थन जताने के लिए ना सिर्फ भारत सरकार की ओर से आधिकारिक बयान जारी किया गया, बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर फ्रांस में हो रहे आतंकी हमलों की निंदा की!

भारत की ओर से यह बनता भी था, और इसके सबसे बड़े कारणों में से एक है पूर्व में कई संवेदनशील मुद्दों पर फ्रांस सरकार द्वारा दिया गया भारत को पुरजोर समर्थन! उदाहरण के लिए हाल ही के भारत-चीन विवाद को ले लीजिये! गलवान घाटी हिंसा में जब भारत के 20 जवानों के वीरगति प्राप्त होने की खबर पूरी दुनिया में फैली, तब फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह को पत्र लिखते हुए कहा था “ये सैनिकों, उनके परिवारों और देश के लिए बहुत बड़ा आघात है। ऐसे संकट की घड़ी में मैं अपने देश की ओर से और पूरी फ्रांस सेना की ओर से इन सैनिकों के परिवारों के प्रति अपनी सांत्वना प्रकट करती हूँ।”

इसी प्रकार कश्मीर मुद्दे पर यह देश शुरू से ही भारत सरकार के रुख का समर्थन करता रहा है। फ्रांस UN सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और ऐसे में फ्रांस के समर्थन से भारत कई बार पाकिस्तान के कुत्सित एजेंडे को धराशायी करने में सफ़ल रहा है। भारत और फ्रांस का सहयोग कोई नई बात नहीं है बल्कि फ्रांस दशकों से हमारा का एक साथी देश रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, तो अमेरिका ने भारत को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इसके बाद यूरोपियन यूनियन द्वारा भी भारत को ब्लैकलिस्ट किए जाने की मांगे उठाई जा रही थी। उस वक्त फ्रांस ने खुलकर हमारे देश का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर कोई भी देश इंडिया को ब्लैकलिस्ट करने का प्रस्ताव लेकर आता है तो वह उसपर वीटो कर देगा।

इसके अलावा NSG यानि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में सदस्यता के लिए भारत का साथ देना हो, या यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए हमारे देश के लिए लॉबिंग करनी हो, फ्रांस ने हर बार हमारे देश का ही समर्थन किया है। भारत और फ्रांस 1998 से रणनीतिक साझेदार हैं और दोनों देशों के बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं। इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा, समुद्री सुरक्षा, अंतरिक्ष, साइबर, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत सहयोग है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और भारत के पीएम मोदी अच्छे दोस्त भी हैं और उम्मीद है कि भारत द्वारा ऐसे समर्थन के बाद भविष्य में दोनों देशों के रिश्ते और मज़बूत होंगे।

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