एक भारतवंशी हो सकता है यूनाइटेड किंगडम का अगला प्रधानमंत्री

 


जैसे-जैसे वुहान वायरस का प्रकोप कम होता जा रहा है, वैसे वैसे कई देश अब पुनः अपने जीवन को पटरी पर लाने में जुट गए हैं। लेकिन कई देश ऐसे भी हैं, जिन्होने वुहान वायरस के विरुद्ध अपनी लड़ाई भारत और ताइवान की तरह मजबूती से लड़ी, परंतु उनके बारे में उतनी बात नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। ऐसा ही एक देश है यूके, जिसे वुहान वायरस के प्रकोप से बाहर निकालने में वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने एक अहम भूमिका निभाई है, और उन्हें अब यूके के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर भी देखा जा रहा है।

जब वुहान वायरस दुनिया भर में पाँव पसार रहा था, तब यूके उन चंद देशों में शामिल हो चुका था, जहां ये महामारी बड़ी तेज़ी से फैल रही थी, जैसे स्पेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस इत्यादि। स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि स्वयं यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जो महज कुछ ही महीनों पहले पुनः प्रधानमंत्री के तौर पर चुने गए थे, इस बीमारी से संक्रमित हो गए। परंतु बात वहीं तक सीमित नहीं थी, क्योंकि यूके पर वुहान वायरस के साथ कुछ ही महीनों में ब्लैक लाइव्स मैटर के नाम पर दंगा करने वालों की भी दोहरी मार पड़ने वाली थी।

ऐसे नाज़ुक समय में यदि किसी ने यूके को संकट से निकालने में सहायता की, तो वे थे वित्त मंत्री ऋषि सुनक, जिन्होने अनाधिकारिक तौर पर बोरिस जॉनसन के संक्रमित होने पर यूके की कमान संभाली थी। कंजर्वेटिव पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाने वाले ऋषि सुनक ने स्थिति बिगड़ते ही कुछ कड़े पर अहम फैसले, जिसके बारे में द प्रिंट ने प्रकाश डालते हुए लिखा, “सुनक के कई निर्णय लोगों को अटपटे लग सकते हैं – जैसे सर्दियों में वायरस का खतरा बढ़ने के बावजूद उद्योग खुले रखने की दृढ़ता। इसके अलावा उन्हें यूके को मंदी के प्रकोप से भी बाहर निकलवाना है। लेकिन ऋषि सुनक कंजर्वेटिव Toryism के एक अहम सिद्धान्त का अनुसरण भी करते हैं – एक ऐसी सरकार की व्यवस्था जो लोगों को अपनी सुरक्षा स्वयं करने को प्रेरित कर सके।”

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ऋषि सुनक धीरे धीरे अपनी पहचान कंजर्वेटिव पार्टी में मजबूत कर सकते हैं, और वे बोरिस जॉनसन के भावी उत्तराधिकारी हो सकते हैं। लेकिन उन्हें स्वयं इस राह पर जाने की कोई इच्छा नहीं है। ऋषि से जब पूछा गया कि वे इस बारे में क्या विचार करते हैं, तो उन्होंने हँसते हुए बोला, “अरे बिलकुल नहीं, अभी ऐसी कोई इच्छा नहीं है। हमारे प्रधानमंत्री अनेकों संकटों से जूझ रहे हैं, और ऐसे में मेरा काम ही अभी के लिए काफी है।”

अब ऋषि अपनी बात पर कितना कायम रहते हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, पर इस बात में कोई संदेह नहीं है कि केवल 40 वर्ष के ऋषि सुनक यूके के भावी प्रधानमंत्री के लिए एक योग्य उम्मीदवार के तौर पर अपने आप को सिद्ध कर चुके हैं। यदि ये बात सत्य सिद्ध होती है, तो यूके को पहली बार कोई भारतवंशी प्रधानमंत्री मिल सकता है।

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