चीन भारत में अलगाववाद भड़काने की धमकी दे रहा है, यानि अब भारत शिंजियांग, तिब्बत और हॉन्ग-कॉन्ग पर खुलकर बोल सकेगा


 ताइवान के मुद्दे पर पिछले काफी समय से चीन की किरकिरी हो रही है। हाल ही में ताइवान के नेशनल-डे पर भारत में ताइवान के लिए जो कैंपेन चलाए गए हैं उससे चीन बौखला गया है। दहशत के कारण ही चीन ने भारत को भी धमकी दी है कि वो सिक्किम से लेकर पूरे पूर्वोत्तर भारत में अलगाववाद का जहर घोल देगा। चीन द्वारा दिया गया बयान साबित कर रहा है कि असल में चीन भारत के आंतरिक मामलों में कितना ज्यादा हस्तक्षेप करता है। चीन के बयान ने भारत को सीधे-सीधे मौका दे दिया है कि वो चीन के विवादित क्षेत्रोंयानी कि ताइवान, हॉन्ग-कॉन्ग, शिंजियांग, तिब्बत का मुद्दा आसानी से उठा सके और असल में चीन की ये धमकी उसके लिए आत्महत्या की तरह साबित होगा।

दरअसल, चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में चीन ने भारत को धमकी दी है कि यदि भारत ताइवान का मुद्दा उठाकर उसकी वन चाइना पॉलिसी को नुकसान पहुंचाएगा तो चीन भी भारत के पूर्वोत्तर में अलगाववाद को बढ़ावा देगा। इस लेख में भारतीयों को लेकर कहा गया है कि उन्हें समझने की जरूरत है कि उनका देश नाजुक मोड़ पर है और उन्हें आत्मचिंतन की आवश्यकता है।

ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने ट्वीट कर भी कहा था कि, ‘भारत की सामाजिक ताकतें ताइवान के मुद्दे पर खेल रही हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि हम उत्तरपूर्व भारत में अलगाववादी ताकतों का समर्थन कर सकते हैं और सिक्किम को अलग कर सकते हैं। इन तरीकों से हम जवाबी कदम उठा सकते हैं। भारतीय राष्ट्रवादियों को अपने बारे में सोचना चाहिए। उनका देश नाजुक है।’ चीन ने इसे ताइवान के मुद्दे पर भारत के खिलाफ जवाबी कूटनीतिक कार्रवाई बताया है लेकिन इस पूरे मामले में चीन की धमकी उसके लिए ही नुकसान का सबब बन सकती है।

चीन हमेशा ही कहता रहता है कि वो किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है, लेकिन अब उसके ही मुखपत्र में छपे लेख ने भारत में अलगाववाद बढ़ाने की बात कहकर साबिक कर दिया है कि चीन भारत में किस हद तक हस्तक्षेप करता है। चीन का कहना है कि वो भारत के सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में अलगाववाद भड़काकर भारत के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। हम अपनी रिपोर्ट्स में पहले बता चुके हैं कि कैसे अरुणाचल में विकास कार्यों की रफ्तार पर रोक लगाने में चीन समर्थित अलगाववादियों की भूमिका रहती है। गृह मंत्रालय इसको लेकर लगातार कार्रवाइयां भी करता रहा है। चीन इस क्षेत्र के लोगों को लगातार प्रभावित करने की कोशिश करता रहता है। इस बार उसके मुखपत्र ने ये बात खुद बोलकर भारत के लिए वैश्विक स्थितियां अधिक सहज कर दी हैं।

दरअसल, चीन के गुस्से की वजह भारतीय मीडिया का ताइवान के लिए खड़ा होना है। हाल ही में इंडिया टुडे ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ का इंटरव्यू लिया था जिसमें ताइवान के मुद्दों पर खुलकर बात हुई थी। इस साक्षात्कार के बाद ही चीनी राजदूत ने भारत के खिलाफ हमला बोल दिया और अब इसी कड़ी में दो कदम आगे जाते हुए चीन भारत में अलगाववाद फैलाने की बात कर रहा है।

इस पूरे मामले पर चीन ने भारत को मौका दे दिया है कि वो चीन के विवादित मुद्दों को वैश्विक मंचों पर उठाए। भारत अब शिनजियांग के उइगर मुस्लिमों का मुद्दा उठाकर उसके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। यही नहीं चीन द्वारा जबरदस्ती कब्जाए गए तिब्बत में कम्युनिस्ट सरकार द्वारा होते अत्याचार के साथ उसकी आजादी का मुद्दा भी उठा सकता है। इसके अलावा हॉन्ग-कॉन्ग की आजादी के मुद्दे पर भी भारत चीन को वैश्विक मंचों पर घेर सकता है। वहीं, ताइवान के मुद्दे पर भारत खुलकर सामने आते हुए चीन की मुसीबतों में इजाफा कर सकता है।

चीन के अत्याचारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग में लगातार चीन की आलोचना होती रही है जिसके चलते चीन को सबसे ज्यादा परेशानिया भी हुई हैं। अब भारत इस मसले पर भी चीन की पोल खोलते हुए उसकी तानाशाही को पूरी दुनिया में उजागर कर सकता है क्योंकि भारत चीन की हर छोटी-बड़ी हरकतों से अच्छी तरह वाकिफ है।

ताइवान को लेकर तो पहले ही भारतीयों ने चीन को घेर लिया है। ऐसे में बात जब भारत की सुरक्षा और अखंडता की आएगी तो भारत दोगुनी ताकत से वार करेगा। वैश्विक मंचों की बात करें तो अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया सभी भारत के साथ खड़े हैं जबकि चीन को बर्बाद करने पर तुले हैं। पीएम मोदी की दोबारा जीत के बाद से तो इन देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से ज्यादा प्रगाढ़ हो गए हैं। मजबूत लोकतंत्र के चलते वैश्विक मंचों पर भारत की बातों को अब अधिक महत्व दिया जाता है। भारत की शांतिप्रिय छवि को हमेशा चीन और पाकिस्तान जैसे देश बिगाड़ने पर तुले रहते हैं।

ऐसे में चीन का भारत के खिलाफ बोलना या उसे धमकी देना बेहद ही बचकाना कदम है क्योंकि इससे भारत को लाइसेंस मिल गया है कि वो भी चीन के विवादित मुद्दों को वैश्विक मंचों पर उठाए और चीन की असलियत से विश्व को रूबरू कराए।

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