यदि आप भी करते हैं खाने में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल तो सावधान आज ही बन्द कर दें!

 

तेल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से हुई है जिस तिल को हम अपने खेतों में उगाते हैं , जो तेल तिल से निकलता वही सर्वोत्तम तेल की श्रेणी में आता है । ये बात अलग है कि धीरे धीरे अन्य फसलों के बीजों से निकलने वाले तेल को भी तेल कहा जाने लगा, आयुर्वेद में भी तिल के तेल को ही सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। आयुर्वेद में कहा गया है कि हमें टिल का तेल ही उपयोग में लाना चाहिए , यदि इसकी उपलब्धता न हो तो आप कच्ची धानी जैसे सरसों, नारियल, मूँगफली, बादाम आदि के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।

आजकल तेल उत्पादक सभी कंपनियाँ अपने अपने प्रोडक्ट पर कच्ची धानी का तेल लिखती हैं, पर ये वास्तव में कच्ची धानी का नहीं होता है। कच्ची धानी का मतलब होता है कि तेल को लकड़ी की बनी हुई ओखली पर लकड़ी के ही बने मूसल सर कूट कूट कर निकाला गया है। कच्ची धानी की पूरी प्रक्रिया में कही से कहीं तक लोहे या अन्य पदार्थों का घर्षण नहीं हुआ होना चाहिए।

रिफाइंड तेल के नाम से आज बाजार में एक से एक नए ब्रांड के तेल बिक रहे हैं और मजे की बात है कि लोग धड़ाधड़ खरीद भी रहे हैं।

कुछ समय पूर्व तक इस दुनिया में रिफाइंड तेल का अस्तित्व तक नहीं था, मगर आज ये लगभग 80 से 90% लोगों की रसोई की शान बना बैठा है, इसके पीछे दुनिया के बहुत ताकतवर लोगों का एक गहरा षडयंत्र है, जिसमें मल्टीनेशनल कंपनियाँ पूरे विश्वभर की सरकारें और बड़ी बड़ी दवाई कंपनियाँ शामिल हैं। इस षडयंत्र को यदि नहीं समझा गया तो हम सब इस षड़यंत्र के शिकार होते रहेंगे।

हमारे समाज में पहला धन निरोगी काया यानि शरीर को बताया गया है, लेकिन पैसे कमाने की दौड़ में फँसे लोग उस सही जीवन शैली को ही भूल गए हैं। जिसमें वे स्वस्थ रहकर सच्चे धन को अर्जित कर सकें। विकास के नाम पर सदियों से हमारे सामने प्रस्तुत किया गया यह रिफाइंड तेल शुरू में यह दावा किया जा रहा था कि इसके प्रयोग से दिल की बीमारियां कम होती हैं, मगर शोध से पता चला कि इस रिफाइंड तेल के सेवन से कई प्रकार की बीमारियों को हम खुद ही न्योता दे रहे हैं।

इसके सेवन से बी पी , सुगर, लकवा, ब्रेन डैमेज ,नपुंसकता, कैंसर, डी एन ए नष्ट होना, दिल का दौरा, हार्ट ब्लॉकेज, हड्डियों का कमजोर होना, जोड़ों का दर्द, किडनी फेल होना, लीवर की समस्या, कैलेस्ट्रोल बढ़ना , त्वचा रोग, पेट के रोग आदि शामिल हैं, शोध में स्पष्ट कहा गया है कि यदि आपने रिफाइंड तेल का इस्तेमाल जारी रखा तो आपको होने वाली समस्त घातक बीमारियों के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।

इसलिए रिफाइंड तेल को बोलो टाटा बॉय और तिल के तेल का इस्तेमाल करो यदि तिल का तेल किसी वजह से उपलब्ध न हो तो सरसों के तेल को अपनी रसोई में खाना बनाने के लिए प्रयोग करो।

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