उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद अधिकत्तर कैदी हैं इंजीनियर, दहेज हत्या—दुष्कर्म जैसे हैं संगीन आरोप

 

लखनऊ। ऐसा माना जाता रहा है कि पढ़ा—लिखा समाज ज्यादा सभ्य होगा। लेकिन हकीकत पर अगर गौर किया तो सच एकदम इसके उलट है। समाज जितना शिक्षित हुआ है, उतना भ्रष्ट भी हो गया है। यह हम नहीं बल्कि राष्ट्रीय अपराध क्राइम ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बता रहे हैं। एनसीआरबी की तरफ से हाल में जारी किए गए आंकड़े इसी तरफ इशारे करते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद अपराधियों में सबसे ज्यादा संख्या पढ़े—लिखे कैदियों की है। इन पढ़े—लिखे कैदिया में सबसे अधिक इंजीनियर और पोस्ट ग्रेजुएट कैदी हैं। जबकि रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की शिक्षित कैदियों की लिस्ट में यूपी के बाद महाराष्ट्र दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर आता है।

ऐसे में जो लोग यह मानते कि शिक्षित लोगों से ही सभ्य समाज का निर्माण होता है उन्हें एनसीआरबी के जारी ताजे आंकड़ों पर गौर करना चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक भारत की जेलों में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे अपराधी जैसे इंजीनियर, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा धारक बंद हैं। रिपोर्ट की मानें तो भारत की जेलों में लगभग 3 हजार 740 पढ़े—लिखे कैदी बंद हैं। इनसे में सबसे ज्यादा शिक्षित कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद 727 कैदी ऐसे हैं जिनके पास टेक्निकल डिग्री है। वहीं टेक्निकल ड्रिगी वालो में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर और कर्नाटक तीसरे स्थान पर आता है।

इस बारे में उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक (डीजी) आनंद कुमार का कहना है कि प्रदेश के जिले में बंद सभी कैदियों के योग्यता का उपयोग किया जा रहा है। इनके इस्तेमाल से अन्य कैदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन कैदियों में अधिकतर अपराधी ऐसे हैं जिनपर दहेज हत्या और बलात्कार जैसे संगीन आरोप हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि पढ़े—लिखे लोग ज्यादा अपराध करते हैं।

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