सेशेल्स के नए राष्ट्रपति पहले भारतीय प्रोजेक्ट्स का विरोध करते थे, परंतु अब पासा पलट चुका है

 


हिन्द महासागर का एक छोटा सा परंतु रणनीतिक रूप से एक बेहद महत्वपूर्ण देश है देश है सेशेल्स (Seychelles)। इस देश में कुछ दिनों पूर्व चुनाव हुए थे और चुनाव परिणाम आने के बाद कई देशों को अपनी-अपनी रणनीति पर एक बार फिर से विचार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सेशेल्स के विपक्षी दल ने 1977 के बाद पहली बार चुनाव जीता है और राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाले Wavel Ramkalawan भारतीय मूल के हैं।

सेशेल्स में हुए इस बदलाव से भारत सहित कई देशों की नजर अब इस देश की ओर मुड़ गयी है। विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि विपक्ष की चुनावी जीत भारत के लिए एक बुरी खबर है क्योंकि इसी विपक्षी ने Assumption Island पर 550 मिलियन डॉलर के निवेश से एक नौसैनिक सुविधा के निर्माण का विरोध किया था जिसका उपयोग भारत और सेशेल्स दोनों द्वारा किया जाना था।

सेशल्स के कोस्ट गार्ड्स को लंबे समय से अपने एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZs) पर गश्त के दौरान समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और ड्रग की तस्करी  करने वालों से सामना करना पड़ रहा है। परंतु इस देश की भोगौलिक स्थिति के कारण चारो तरफ नजर रखना लगभग असंभव है क्योंकि देश के द्वीप अलग-अलग बिखरे हुए हैं। उदाहरण के लिए Assumption Island ही Mahe के मुख्य द्वीप से 1,100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सेशेल्स की इसी समस्या और कम्युनिस्ट चीन के हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस द्वीप देश को भारत के साथ करने का प्रयास किया था और नौसेना के लिए एक फ़ैसिलिटी बनाने की बातचीत कर भी वे कर रहे थे। परंतु पीएम मोदी की सेशेल्स यात्रा के दौरान 2015 में प्रारंभिक संधि की घोषणा और हस्ताक्षर के बाद भी, Ramkalavan के नेतृत्व में तत्कालीन विपक्ष लिनियोन डेमोक्रेटिक सेसेलावा (एलडीएस) ने इसका विरोध किया और परियोजना को रुकवा दिया था।

जिन समस्याओं के कारण इस समझौते का विरोध किया गया वह हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से प्रेरित लग रहा था। विपक्षी पार्टी ने यह विरोध तब किया था जब चीन ने मालदीव पर अपना प्रभाव जमा कर, उसे भारत के खिलाफ भड़का चुका था। तभी से इस द्वीप राष्ट्र के साथ-साथ पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का प्रभाव उसके निवेश के अनुपात में बढ़ा।

हालांकि, आज हिन्द महासागर क्षेत्र का जियो पॉलिटिक्स 2015-2018 की अवधि से ठीक उलट हैं। सभी देशों को चीनी विस्तारवाद की समझ हो चुकी है और आज चीन अपने Wolf warrior कूटनीति से अन्य देशों पर कब्जा करने के कारण भारत सहित अन्य सभी क्षेत्रीय शक्तियों से घिरा हुआ है। ऐसे माहौल में सेशेल्स मौजूदा स्थिति को देखते हुए अपनी विदेश नीति तैयार करेगा जिसके बाद भारत के प्रति उसके नए राष्ट्रपति का नजरिया बदलना तय है।

जैसा कि हम कई देश में देख चुके हैं कि कैसे विपक्षी पार्टी जब सत्ता में आती है तो उसे पूरे देश के हितों को संबोधित करना होता है। ऋणजाल की कूटनीति में चीन की रणनीति को देखते हुए , Wavel Ramkalawan की सरकार भी अधिक ज़िम्मेदारी से अपने भविष्य के लिए मार्ग चुनेगी।

जब चीन पूरे क्षेत्र को हथियाने में लगा है , ऐसे में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कोई भी देश तटस्थ हो कर माहौल सामान्य होने की प्रतीक्षा करने की कोशिश नहीं कर सकता और जब कोई देश पश्चिमी हिंद महासागर में एक अकेला तब तो और भी नहीं। ऐसे में इस देश के पास विकल्प बेहद कम है, ध्यान से देखा जाए तो केवल दो ही विकल्प दिखाई देते हैं। या तो वो भारत के साथ लोकतांत्रिक देशों के साथ आ जाए और इंडो-पैसिफिक में समुद्री व्यापार को संरक्षित करें या अपनी संप्रभुता को चीन के हाथों गंवा दें।

Wavel Ramkalawan की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई संदेश दिया, यह संदेश किसी नए रिश्तों की शुरुआत का संकेत है। ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा कि, ”राष्ट्रपति चुनावों में अपनी ऐतिहासिक जीत पर Wavel Ramkalawan को बधाई। हम उनके नेतृत्व में भारत और सेशेल्स के बीच घनिष्ठ और पारंपरिक संबंधों को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं। यह लोकतंत्र के लिए एक जीत हैजो भारत और सेशेल्स को एक डोरी में बांधता है।

पिछले दिनों से अत्यधिक आक्रामक तेवर दिखा रहे चीन को देखते हुए इस बात की अधिक संभावना है कि सेशेल्स सरकार लोकतांत्रिक शक्तियों का साथ देगी और भारत व अन्य 3 QUAD देशों के साथ चीन को नियंत्रित करने में मदद करेगी। भारतीय प्रधानमंत्री की बधाई में सेशेल्स के लिए एक बेहद अहम संदेश छुपा हुआ है कि आप एक लोकतांत्रिक देश हैं और लोकतंत्र केवल तभी संरक्षित रह सकता है जब आप साथी लोकतांत्रिक देशों के साथ मिल कर चीन के प्रभाव क्षेत्र से बाहर रहेंगे।

भले ही विश्लेषकों और टिप्पणीकारों का मत सेशेल्स में राजनीतिक परिवर्तन के बारे में एकतरफा हो, लेकिन वास्तविकताएं वर्ष 2018 से बिल्कुल अलग हैं, जिस पर वे अपने विश्लेषण को आधार बना रहे हैं। अब जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा सेशेल्स की सरकार के भारत के करीब आने की संभावना बढ़ती जाएगी जिसका पहला कदम निश्चित रूप से भारतीय नौसेना परियोजनाओं का कार्यान्वयन होगा।

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