भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक BECA डील के बाद चीन जल-भुन गया

 


27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच आखिरकार Basic Exchange and Cooperation Agreement यानि BECA पर हस्ताक्षर हो ही गए। हालांकि, जैसे ही दोनों बड़ी ताकतों के बीच नई दिल्ली में यह समझौता पक्का हुआ, इसके ठीक बाद बीजिंग में बड़े झटके महसूस किए गए! स्पष्ट है कि नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच बढ़ती नज़दीकियों से अगर किसी को सबसे ज़्यादा तकलीफ़ पहुंची है, तो वह चीन ही है।

इसकी सबसे पहली प्रतिक्रिया Global Times के मुख्य संपादक हु शीजीन की ओर से आई, जिनकी असहनीय पीड़ा ट्विटर पर लिखे उनके शब्दों में साफ झलक रही थी। उन्होंने लिखा “भारत को अमेरिका के कई प्यारों में से एक बनने के लिए बधाई। यह भारत के लिए एक छोटा गिफ़्ट है, जो सिर्फ कुछ समय के लिए ही भारत के आत्म-सम्मान को संतुष्ट कर सकता है।”

भारत और अमेरिका के बीच हुए इस समझौते के बाद अब चीन अपने मन को तसल्ली देने के लिए अपनी मनगढ़ंत कहानियाँ बना रहा है। Global Times के एक लेख के मुताबिक “इस समझौते के माध्यम से जहां अमेरिका का ट्रम्प प्रशासन चुनावों में दोबारा जीत प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, तो वहीं भारत चीन को बढ़ती ताकत का अहसास कराने की कोशिश करेगा। दोनों देशों के बीच इस समझौते के बाद शायद ही किसी की ताकत में कोई इजाफा हो, इसके माध्यम से दोनों देश बस अपने-अपने हित साधने की कोशिश कर रहे हैं।”

BECA डील रणनीतिक तौर पर भारत की रक्षा नीति के लिए बेहद हितकारी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस डील पर हस्ताक्षर करने से भारत को अमेरिका के अत्याधुनिक Geospatial Maps की सुविधा प्राप्त होगी। इस मैप से न केवल शत्रुओं के आक्रमण की नीति और बेहतर तरीके से समझ में आएगी, बल्कि इन मैप्स के बल पर भारत अपनी रक्षा के लिए क्रूज़ एवं बैलिस्टिक मिसाइल्स को सटीक तरह से फायर भी कर सकता है। सच कहें तो ये BECA समझौता भारत और अमेरिका के बीच की रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत किए गए कई अहम रक्षा समझौतों का ही एक विस्तार है। इससे पहले वर्ष 2018 में अमेरिका और भारत के बीच इसी प्रकार की बैठक में COMCASA को प्रारम्भ करने पर सहमति जताई गयी थी। यह दस वर्षों के लिए वैध है, और इसके अंतर्गत खुफिया कम्युनिकेशन के लिए काम में आने वाले अमेरिकी प्लैटफ़ार्म जैसे सी17, सी130 एवं पी81 के उपयोग की स्वतन्त्रता मिलेगी। COMCASA अमेरिका के Communication and Information on Security Memorandum of Agreement यानि CISMOA का ही भारत केन्द्रित वर्जन है।

भारत में आकर Sec Pompeo ने ऐसे कई बयान भी दिये जो चीन को काफी चुभे होंगे। Pompeo ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के मुलाक़ात के दौरान कहा “अपनी संप्रभुता की रक्षा के दौरान भारत के साथ अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। हम कई मोर्चों पर मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।” इसपर चीन की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिली। चीन की ओर से बयान आया “सीमा विवाद भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है, और दोनों देश आपस में बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाने में सक्षम है। किसी तीसरे पक्ष की इस मुद्दे पर बोलने की कोई आवश्यता नहीं है।”

हालांकि, चीन का पाखंड तब expose हो गया जब इस समझौते के बाद झुलसे चीन ने भारत के साथ होने वाली 8वें दौर की कोर-कमांडर स्तर की बातचीत को रद्द कर दिया। चीन के लिए भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि ये दोनों ही देश पहले ही Quad के तहत अमेरिका और जापान के साथ मिलकर Indo-Pacific में चीन की पकड़ को कमजोर करने में लगे हैं। Quad की दो सबसे ज़्यादा शक्तिशाली ताकतों- यानि अमेरिका और भारत के बीच होने वाले प्रत्येक समझौते के साथ ही चीन की सांसें भी तेजी से फूलती जा रही हैं। यह दर्शाता है कि Quad धीरे-धीरे सैन्य संगठन का रूप धारण कर रहा है, जो चीन के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा साबित होगा! यही कारण है कि अब एक कुंठित चीन हताश होकर ऐसी बयानबाज़ी करने के लिए मजबूर हो रहा है।

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