मोची पिता और मजदूर मां का बेटा आज दे रहा 4500 लोगों को रोजगार, कंपनी का एनुअल टर्नओवर 500 करोड़

 

मोची पिता और मजदूर मां का बेटा आज दे रहा 4500 लोगों को रोजगार, कंपनी का एनुअल टर्नओवर 500 करोड़

पिता मोची और मां खेतों में काम करने वाली दिहाड़ी मज़दूर, जैसे तैसे घर का गुजारा कर रहे इस दंपत्ति के बच्‍चों से किसी को भला कैसी उम्‍मीद थी । कौन ये कल्‍पना भी कर सकता था कि आर्थिक मजबूरियों में जी रहे इस परिवार की एक दिन ऐसी कायापलट होगी कि दुनिया के सामने मिसाल बन जाएगी । इस कायपलट में शिक्षा का महत्‍व सबसे आगे रहा । जानिए अशोक खाड़े की संघर्ष भरी जिंदगी के बारे में, कभी खुद मोहताज रहे लेकिन शिक्षा के दम पर आज साढ़े 4 हजार लोगों को रोजगार देने में सक्षम बने हैं ।

दलित, गरीब परिवार से आते हैं अशोक खाड़े
अशोक का जन्म महाराष्ट्र के सांगली ज़िले के पेड गांव में हुआ । एक दलित परिवार में पैदा होना मानों अपने आप में अभिशाप सा था ।  चमार समुदाय
 से आने वाले उनकी जाति के लोगसें का पारंपरिक काम मृत जानवरों की खाल उतारना था । पिता मोची का काम करते थे और मां खेतों में दिहाड़ी मजदूर थी, किसी तरह 6 बच्‍चों का परिवार ये दंपत्ति चला रहा था । इस परिवार के एक बच्‍चे अशोक खाड़े ने भी गरीबी, भेदभाव से लेकर अवसरों की कमी तक का सामना किया ।

मुंबई आ गए थे माता-पिता
गांव में गुजर बसर मुश्किल देखते हुए अशोक खाड़े के पिता ने मुंबई का रुख किया । अशोक के पिता शिक्षा का महत्‍व जानते थे, इसी वजह से बेटे को भी इससे रूबरू करवाया । अशोक ने कई सरकारी स्कूलों से पढ़ाई की । 10वीं क्लास की पढ़ाई 
तक वो गांव में ही मां के साथ रहे, फिर पिता और भाई की मदद के लिए मुंबई आ गए. । भाई एक कम्पनी में वेल्डर का काम कर रहा था और पिता मोची । अशोक ने भी भाई की कम्पनी में ही बतौर ट्रेनी काम करना शुरू कर दिया गया । साल 1975 से 1992 तक वो Mazgaon Dockyard में काम करते रहे । इसी दौरान अपनी कम्पनी शुरू करने का सपना देखा । 1983 में उन्हें जर्मनी जाने का अवसर मिला, इसके बाद एंटरप्रेन्योरशिप का आईडिया आया ।

खुद की कंपनी खड़ी कर दी
बहुत चुनौतियों का सामना करने के बाद अशोक ने 1995 में DAS Offshore शुरू किया । अपने भाई दत्ता और सुरेश को भी कंपनी में लगा लिया, 
DAS का मतलब ही है दत्ता, अशोक और सुरेश । 1991 के आर्थिक उदारीकरण के दौर में तेल सेवा उद्योग में नए मौके खुले, कुछ छोटे कॉन्ट्रैक्ट्स संभालने के बाद डीएएस को पहला बड़ा प्रोजेक्ट उनके पिछले एम्प्लायर Mazagon Dock से ही आया था । प्रोजेक्ट पूरा हुआ और आगे भी काम मिला । इसके बाद अशोक ने तेल रिसाव निर्माण और उसके  नवीनीकरण पर काम करना शुरू किया । उनके कस्टमर्स में जल्‍द ही ONGC, Essar, Hyundai भी शामिल हो गए ।

बना दिया मंदिर
DAS ऑफशोर वर्तमान में 4,500 से ज्‍यादा कर्मचारियों के साथ 500 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार कर रही है । अशोक खाड़े ने अपनी मों 
की इच्छा को पूरा करते हुए गांव में एक मंदिर भी बनवाया है । कभी गांव के ही एक मंदिर में उन्‍हें दलित होने के कारण प्रवेश नहीं करने दिया गया था । आशोक का सपना है कि वो अपने गांव में एक अस्पताल, एक स्कूल और एक इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू कर सकें ।

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