हमारे देश में कई ऐसी प्रथाएं हैं जो आज भी कई सालों से चली आ रही हैं. इन प्रथाओं को आज भी एक समाज मानता है. दरअसल हम बात करने जा रहे हैं किन्नरों की, जो सिर्फ अपने भगवान के साथ शादी रचाते हैं. जी हां कहा जाता है कि जिस भगवान से वो शादी करते हैं और उन्हें मानते हैं वो भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन हैं. इरावन को अरावन के नाम से भी लोग जानते हैं. बता दें कि किन्नरों की सारी रीतियां आम नागरिकों के घर से बिल्कुल अलग होती हैं. जानकारी की माने तो तमिलनाडु के विल्लीपुरम के कूवागम गांव में जितने भी किन्नर हैं वो भगवान आरवन का एक खास त्योहार मानते हैं. इस त्योहार के समय सभी किन्नर भगवान आरवन से एक दिन का विवाह रचाते हैं और फिर अगले ही दिन विधवा बनकर विलाप करते हैं.
विधवा के जैसे करते हैं विलाप
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये जितने भी किन्नर होते हैं, सारे एक ही भगवान के साथ शादी रचाते हैं. कहते हैं कि भगवान आरवन से विवाह करने के बाद अगले दिन सारे किन्नर मिलकर उनकी मूर्ति को लेकर पूरे शहर का भ्रमण करते हैं. फिर आखिर में इस मूर्ति को सभी किन्नरों की मौजूदगी में तोड़ दिया जाता है. मूर्ति टूटने के बाद ये सारे किन्नर शादी वाले श्रृंगार को उतार देते हैं और फिर एक विधवा के जैसे विलाप करते हैं.
इस कहानी को सुनने के बाद आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर किन्नर खुद ये सारी चीजें क्यों हैं? लेकिन ऐसे करने के पीछे इन किन्नरों का एक मकसद होता है. जो हम आपको इसी खबर में बताएंगे.
कहते हैं कि जिस समय महाभारत का युद्ध शुरू हुआ उस समय पांडवों ने माँ काली की पूजा की थी. लेकिन इस पूजा को संपन्न करने के लिए पांडवों को एक राजकुमार की बलि देनी थी. लेकिन उस दौरान एक भी राजकुमार इस बलि के लिए तैयार नहीं हुआ.
लेकिन उस समय सिर्फ इरावन ही थे जो इस विधि के लिए तैयार हो गए, लेकिन इस बलि से पहले उन्होंने पांडवों के सामने एक शर्त रखी दी थी. उन्होंने शर्त में कहा था कि वो तभी बलि चढ़ेंगे जब उनकी शादी करवाई जाएगी.
इरावन की ये बात सुनने के बाद सभी पांडव एक दुविधा में पड़ गए. किसी को ये बात ही नहीं समझ आ रही थी कि सिर्फ एक दिन के लिए कौन राजकुमारी इरावन से विवाह करने के लिए तैयार होगी. जिसे अगले दिन विधवा ही बनना है. इस संकट के समय में भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन संग विवाह रचा लिया.
लेकिन अगले दिन जब इरावन बलि चढ़े तो एक विधवा की तरह ही श्रीकृष्ण ने विलाप किया. इसी घटना के बाद से ही किन्नर इरावन को अपना भगवान मानने लगे. यही वो वजह है कि सिर्फ एक दिन के लिए किन्नर विवाह करते हैं और अगले दिन विधवा बन जाते हैं.
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