राधेश्याम मिश्रा 23 साल की उम्र में अस्थमा से गंभीर तौर पर बीमार पड़ गये थे, डॉक्टरों ने उन्हें ये तक कह दिया था कि वो तीन-चार महीने से ज्यादा नहीं जिंदा रह पाएंगे, इस बीच एक संन्यासी कृष्ण चैतन्य की सलाह पर उन्होने योग करना शुरु किया, और उनकी जिंदगी बदल गई। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक राधेश्याम मिश्रा कहते हैं कि संन्यासी की देखरेख में कुछ हफ्तों तक मैंने योग किया, जो मेरा वजन 48 किलो का हो गया था, वो बढकर 54 किलो हो गया, जिससे मनोबल बढा, तो और मन लगाकर योग करना शुरु कर दिया, मैंने जल्द ही अस्थमा को हरा दिया।
2 साल अध्ययन
राधेश्याम मिश्रा ने बताया कि इसके बाद मैंने साल 1993-94 में मुंबई के द योगा इंस्टीट्यूट पहुंचा, जहां दो साल तक अध्ययन किया,
इसके बाद 1996 में विक्रम यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई, हालांकि नौकरी के साथ-साथ पार्ट टाइम योग भी सिखाता रहा, लेकिन साल 2009 में नौकरी छोड़ दी और पूर्णकालिक योग टीचर बन गया।
51 देशों तक पहुंचे
उज्जैन में एक छोटे से योग सेंटर से शुरुआत करने वाले राधेश्याम मिश्रा की पहुंच 51 देशों तक है, जहां उन्हें पांच लाख लोगों को योग सिखाया है,
22 देशों में उनके 336 ट्रेनिंग सेंटर्स है, कभी 45 हजार रुपये में शुरु योग सेंटर का टर्नओवर अब 80 करोड़ रुपये का हो गया है।
पत्नी और बेटियां भी योग टीचर
उनके साथ-साथ पत्नी सुनीता और दोनों बेटियां भी अब योग टीचर बन गई है, वो भी अपने-अपने स्तर पर योग सिखाती हैं, विदेश से भी लोग लगातार योग सीखने आते हैं,
उन्होने 22 देशों में योग लाइफ सोसाइटी के सेंटर्स शुरु किये, जहां 336 सेंटर्स चल रहे है, पूरी दुनिया में उनके साथ 3016 योग टीचर जुड़े हैं।
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