Yoshihide Suga का PM बनना लगभग तय – चीन के बुरे दिन जल्द ही खत्म होते नहीं दिखाई दे रहे हैं

Yoshihide


जापान की राजनीति में व्यापक बदलाव आने वाला है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वहां के लोकप्रिय प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। अब जापान में नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति होने वाली है। इसके लिए कई नाम चर्चा में हैं। कुछ समय पूर्व तक इस बात की संभावना थी कि उप प्रधानमंत्री Taro Aso ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। किंतु The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार नए प्रधानमंत्री पद के लिए लोकप्रिय चेहरे के रूप में चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी Yoshihide Suga का नाम सामने आया है।

Yoshihide Suga शिंजो आबे की सरकार के चेहरे के रूप में पिछले 8 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। देश की आर्थिक नीतियों से लेकर सरकार का पक्ष रखना हो या उत्तर कोरिया की मिसाइल टेस्ट पर प्रतिक्रिया देनी हो अथवा कोरोनावायरस से निपटने हेतु सरकार की तैयारियों को जनता से साझा करना हो, देश के लिए शिंजो आबे के हर संदेश को मीडिया के सामने रखने का काम Yoshihide का रहा है। उनकी लोकप्रियता के अलावा एक बात और उनकी दावेदारी को मजबूत बनाती है, वह यह कि वे शिंजो आबे के विश्वासपात्र हैं। उनपर आबे के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह आबे के कार्यकाल के  शुरुआत से ही चीफ सेक्रेटरी रहे हैं।

पद पर रहते हुए वह सेनकाकू और हांगकांग के मुद्दे पर भी मुखर होकर सरकार का पक्ष रखते रहे थे। चीन द्वारा हांगकांग में नया सुरक्षा कानून लागू करने के बाद जापान सरकार के चीफ सेक्रेटरी होने के नाते Yoshihide ने  बयान देते हुए  कहा था कि “हम इस मुद्दे से उचित रूप से निपटने के लिए इस मामले में शामिल देशों के साथ काम करना जारी रखेंगे।” साथ ही उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर सरकार के प्रवक्ता होने के नाते Yoshihide शिंजो आबे के एजेंडा को भली प्रकार समझते हैं और उसमें विश्वास करते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले समय में भारत और चीन के प्रति जापान की नीति में कोई व्यापक बदलाव नहीं आने वाला है तथा दोनों देशों ने चीन के खिलाफ जो आपसी सहयोग शुरू किया है वह अपनी गति से आगे बढ़ता रहेगा।

भारत के लिए खुशखबरी यह है कि शिंजो आबे की नीतियों के प्रमुख आलोचक Ishiba  प्रधानमंत्री की दौड़ में पिछड़ गए हैं। यद्यपि Ishiba एक लोकप्रिय नेता हैं, किंतु जापान में सत्तारूढ़ दल Liberal Democratic Party में Yoshihide का सबसे अधिक समर्थन है।

बता दें की शिंजो आबे का इस्तीफा QUAD समूह के सभी देशों के लिए एक बड़ा झटका था। ऐसा इसलिए क्योंकि QUAD  की रचना शिंजो आबे की दूरदर्शिता के कारण ही संभव हो पाई थी। 2007 में अपने भारत दौरे के दौरान उन्होंने इस गठबंधन की चर्चा थी, और कहा था कि भारत की इसमें मुख्य भूमिका होगी।  यहां तक कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए ‘Indo-Pacific’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल भी शिंजो आबे ने किया था जो बताता है कि उनकी विदेश नीति के हिसाब से भारत कितना महत्वपूर्ण है।

यही नहीं, हाल ही में भारत ऑस्ट्रेलिया और और जापान ने मिलकर चीन को सप्लाई चेन से बाहर धकेलने के लिए इस फ्रेमवर्क पर काम शुरू किया है।  इसके मुख्य शिल्पकार भी शिंजो आबे ही थे ऐसे समय में जब चीन की आक्रामकता अपने चरम पर है, भारत लद्दाख में उसके साथ स्टैंड ऑफ में उलझा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव होने वाले हैं, शिंजो आबे का प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती बन सकती थी। लेकिन Yoshihide Suga  के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के लिए किसी भी प्रकार की चुनौती स्वतः समाप्त हो गई है।

जापान के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होने वाला है। कोरोनावायरस के संकट के साथ ही आर्थिक मंदी बड़ी समस्या है। इसके अलावा नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को असहज करने के लिए चीन सेनकाकू को लेकर अपनी आक्रामकता भी बढ़ा सकता है।

ऐसे में Yoshihide, जो पिछले प्रधानमंत्री के सबसे विश्वसनीय लोगों में रहे हैं, का प्रधानमंत्री के रूप में चयन जापान की सत्तारूढ़ पार्टी का समझदारी भरा फैसला है। यह समय प्रयोग का नहीं बल्कि जांचे परखे सहयोगियों के बल पर चुनौतियों का सामना करने का है। जापान के लिए से Yoshihide बेहतर इस पद के लिए कोई और नहीं हो सकता था।

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