शाहीन बाग़ की “प्रभावशाली” दादी से प्रभावित होकर एक बार फिर TIME ने अपनी इज्ज़त का फ़ालूदा कर डाला है


अपने डिवाइडर इन चीफ के डिजास्टर के बाद TIME Magazine ने एक और सस्ता प्रोपोगेंडा करने की कोशिश की है। TIME ने वर्ष 2020 के सौ सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट जारी की है,जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ शाहीन बाग में प्रदर्शनों को लेकर चर्चा में आईं 82 साल की बिलकिस, जिन्हें लोग दादी भी बुलाते हैं, को भी 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल किया है।

बिलकिस उन महिलाओं के एक समूह का हिस्सा थीं, जिन्हें शाहीन बाग की दादियों या दादी के रूप में जाना जाता था। खास बात यह है कि इस मैगजीन के “बिलकिस” के ऊपर लेख को राणा अयूब ने लिखा है। हालांकि, ‘सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की लिस्ट का चयन इस मैगजीन के संपादक करते हैं परंतु यह बात समझना कठिन नहीं है कि क्यों बिलकिस को इस लिस्ट में शामिल किया गया।

वैश्विक लिबरल मीडिया की यह शुरू से आदत रही है कि वह ऐसे तत्वों को एक मंच प्रदान करे जो भारत के खिलाफ बोले और प्रदर्शन में शामिल रहे। शाहीन बाग एक सरकार-विरोधी प्रदर्शन की आड़ में एक देश विरोधी अभियान था, जिसे उमर खालिद, AAP, PFI आदि द्वारा संचालित और समर्थित किया गया था और उसी प्रदर्शन में शामिल थी ये बिलकिस ।

जिस तरह से शाहीन बाग का प्रदर्शन शुरू हुआ था, उससे तो यह बिल्कुल स्पष्ट था कि यह प्रदर्शन निर्भया प्रदर्शन की तरह कोई त्वरित प्रदर्शन नहीं था। यह एक सुनियोजित प्रदर्शन था जिसका खूब PR किया गया। उस दौरान बिरयानी बांटे गए, कई नेता नियमित रूप से मिलने पहुंचे और कईयों ने बाहर से समर्थन किया। शुरू में तो इस प्रदर्शन को शरजील जैसे लोग नेतृत्व कर रहे थे और वे अपने देश को पूर्वोतर राज्यों से अलग करने जैसे बयान दे रहे थे।

यही नहीं, उसके बाद कांग्रेस और AAP के नेताओं की भागेदारी भी सामने आई तब  उनके और PFI द्वारा फंडिंग का खुलासा हुआ। ओखला के MLA अमानुतुल्लाह ने तो लगभग रोज़ ही शाहीन बाग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को भी वहां चक्कर  लगाते हुए देखा गया था।

यह हास्यास्पद है कि शाहीन बाग के प्रदर्शन के बीच ही दिल्ली दंगे हुए और आज सभी सच्चाई सामने आने के बाद भी TIME ने उससे जुड़े एक व्यक्ति को सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल किया। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब TIME ने इस तरह से देश विरोधी तत्वों को मंच दिया है। टाइम मैगज़ीन ने ही दिल्ली की हिंसा पर एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था जिसका शीर्षक था “सिर्फ हमारे खिलाफ ही हिंसा की जा रही है; दिल्ली हिंसा के बाद भारत के मुस्लिम अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं”

आप टाइम मैगज़ीन (Time Magazine) में छपे लेख को पढ़ने के बाद आसानी से समझ सकते हैं जिसमें लिखा है “वैसे कुछ हिन्दू भी हिंसा में मारे गए थे, लेकिन जल्द ही यह सामने आ गया कि राष्ट्रवादी नारों के साथ इमारतों को जलाती और मुस्लिमों को पीटती हिन्दुओं की हिंसक भीड़ पर PM नरेंद्र मोदी और हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी BJP का हाथ था।”

अब इसे घोर एजेंडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे? यहाँ समझने वाली बात है कि जिस तरह से दिल्ली हिंसा के दौरान इनका एजेंडा हिंसा करने वालों को बचाना प्रतीत हो रहा था उसी तरह से बिलकिस को सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल करना इनके भारत विरोधी एजेंडे का अगला चरण है,जिससे ये इन भारत विरोधी तत्वों तक अपना समर्थन पहुंचा सके।

इसी टाइम मैगज़ीन ने अपने गुप्त एजेंडे के तहत भारत में आम चुनावों से पहले पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया था। TIME ने अपने कवर पेज पर पीएम मोदी को Divider-In-Chief कह कर उनके खिलाफ एक लेख छापा था जिसने बाद इस मैगजीन को जम कर लताड़ा गया था। मैगजीन के एजेंडे के बावजूद पीएम मोदी ने पहले से अधिक सीटों पर जीत हासिल की और पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आए।

वैश्विक लिबरल मीडिया अपनी भारत विरोधी मानसिकता से बाहर ही नहीं आती, जिससे उन्हें सार्वजनिक विरोधों जैसे निर्भया आंदोलन की तरह और एक खास वर्ग द्वारा वित्तपोषित विरोध प्रदर्शन का अंतर समझ नहीं आता। यह सिर्फ भारत विरोधी मानसिकता नहीं है बल्कि पीएम मोदी के खिलाफ इन मीडिया हाउस का एक छिपा हुआ एजेंडा है। चाहे वो BBC हो या CNN, या Washington Post या बाकी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया, इन सभी में एक वर्ग को पीएम मोदी के खिलाफ अपने एजेंडे को पुश करने में लगा रहता है।

अमेरिकी मीडिया द्वारा इस तरह से भारत को बदनाम करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पश्चिमी मीडिया के कई अहम पोर्टल्स की तरह ही पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों का आरोप हिंदुओं के सिर मढ़ दिया था। इस पोर्टल ने तो झूठी रिपोर्टिंग करते हुए IB अफसर के भाई के ऐसे कथन को आधार बनाया जो अंकित के भाई ने कभी कही ही नहीं थी। इसी तरह से कोई मुद्दा हो चाहे वैश्विक मीडिया अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आधार को ले कर पीएम मोदी को बदनाम करता रहता है। CAA से पहले जब सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तब विश्व की सभी लिबिरल मीडिया ने पीएम मोदी को ऐन्टी माइनॉरिटी कह कर बदनाम करने का हरसंभव प्रयास किया था। ऐसे न जाने कितने ही उदाहरण मिल जाएंगे जिनकी गिनती करना सर के बाल गिनने जैसे होगा।

टाइम के इन सभी कारनामों का उद्देश्य एक ही है कि भारत में पीएम मोदी के खिलाफ बोलने वालों को आवाज देते रहे जिससे देश विरोधी तत्व उनकी धुनों पर नाचते रहें। इससे देश में एक अराजकता का माहौल बना रहेगा और उन्हें अपना एजेंडा चलाने में मदद मिलती रहेगी। परंतु अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि देश अब बदल रहा है और उनकी प्रासंगिकता देश के महज एक वर्ग(ऐलीट) तक ही सीमित है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि Time मैगजीन का यह प्र्पोगेंडा स्टंट एक बार फिर से फेल हो जाएगा।

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