“कोई Telangana Liberation Day नहीं मनाएगा” मुस्लिमों और साथी ओवैसी को खुश करने के लिए KCR सारी सीमा लांघ गए


 तुष्टीकरण की राजनीति कितनी गर्त में जा सकती है इसका एक नमूना आज यानि गुरुवार को देखने को मिला जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR के नेतृत्व वाली TSR सरकार ने Telangana Liberation Day को भी नहीं मनाया। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि राजनीतिक सहयोगी AIMIM और उसके प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के दबाव जो तेलंगाना मुक्ति दिवस समारोह के खिलाफ हैं।

बता दें कि 17 सितंबर को Telangana Liberation Day के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1947 में निजाम और राजकारों के चंगुल से निकल कर हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया था।

KCR को डर है कि उनके Telangana Liberation Day मनाने की वजह से उनकी राजनीतिक सहयोगी नाराज न हो जाए और उनका वोट बैंक न चला जाए। यह तो वही बात हो जाएगी जब भारत सरकार ब्रिटेन को मनाने के लिए स्वतन्त्रता दिवस न मनाए।यह हैरानी कि बात है कि एक विधायक के रूप में KCR ने अतीत में Telangana Liberation Day को मनाने की मांग की है लेकिन अब ओवैसी के डर के कारण वह इस समारोह पर चुप्पी साधे बैठे हैं।

बता दें कि 17 सितंबर से पहले हैदराबाद में कट्टरपंथी रजाकारों का राज था। ये वही रजाकार हैं जिसने हैदराबाद की जनता को काबू करने के लिए आतंक का रास्ता अपनाया था। गावों को लूटना गैर मुस्लिमों पर हमला, निर्दोष लोगों को निशाना बनाना, महिलाओं और बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार करना आम बात थी। परंतु सरदार पटेल ने भी हैदराबाद को रजाकारों के आतंक से मुक्त करा कर भारत में मिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। ऑपरेशन पोलो के अंतर्गत सैन्य कार्रवाई 13 सितंबर 1948 को प्रारम्भ हुई। शुरुआत में भारतीय सेना को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, परंतु भारतीय सेना ने रजाकारों को दुम दबाकर भागने पर विवश कर दिया। अंतत: 17 सितंबर 1948 की शाम 5 बजे निज़ाम ने सीजफायर की घोषणा की। मेजर जनरल जयंतो नाथ चौधुरी ने हैदराबाद के कमांडर-इन-चीफ़ जनरल सैय्यद अहमद अल-इदरोस से उनका समर्पण स्वीकार किया और हैदराबाद का आधिकारिक रूप से भारत में विलय हो गया।

यह हैरानी की बात है कि क्रूर निजाम और कासिम रिजवी के रजाकारों से मुक्ति के दिन को KCR सिर्फ मुसलमानों की तुष्टीकरण के लिए नहीं मानना चाहते हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का इतिहास उन्हीं रजाकारों से जुड़ा हुआ है।

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि KCR के नेतृत्व वाली TRS सरकार अपने राजनीतिक सहयोगी AIMIM और उसके प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के दबाव में है जो तेलंगाना मुक्ति दिवस समारोह के खिलाफ हैं। जब से TRS की सरकार बनी है तब से ही इस दिवस को समारोह नहीं मनाया गया है। उससे पहले KCR ने वादा किया था कि 17 सितंबर को राज्य सरकार समारोह मनाएगी।

बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने कहा, “एक विधायक के रूप में, केसीआर ने अतीत में मुक्ति दिवस समारोह की मांग की है। हालांकि, ओवैसी के डर के कारण वह अभी इस पर नहीं बोल रहे हैं।” इससे पहले 2019 के चुनावों के दौरान, तेलंगाना में अपनी रैली में तत्कालीन भाजपा प्रमुख अमित शाह ने AIMIM को ‘रजाकारों’ की पार्टी करार दिया था।

KCR की सरकार तुष्टिकरण के लिए सिर्फ यही नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड को न्यायिक दर्जा देने पर भी विचार कर रही है। ऐसा लगता है कि KCR तेलंगाना में शरिया न्यायालयों को देश के न्यायालयों की बराबरी में खड़ा करना चाहते हैं जिसके बाद मुस्लिम खुलेआम हिंदुओं की भूमि पर अतिक्रमण करेंगे और फिर शरिया अदालतों में केस लड़ेंगे। इससे इस्लाम संहिता और शरीयत लागू होने में थोड़ा भी समय नहीं लगेगा। इसके अलावा तेलंगाना सरकार मुसलमानों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए फिर से कानूनी दांव पेच की तैयारी कर रही है। बता दें कि तेलंगाना राष्ट्र समिति ने शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों दोनों में मुसलमानों के बीच सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 12 प्रतिशत कोटा की अनुमति देने के लिए अप्रैल 2017 में ही विधानसभा के एक विशेष सत्र में विधेयक पारित किया था लेकिन तब केंद्र सरकार ने यह कहते हुए इस मांग को खारिज कर दिया था कि वह धार्मिक आधार पर आरक्षण के लिए अनुमति नहीं देगा।

जिस तरह से KCR तुष्टीकरण कर रहे हैं उससे AIMIM से डर साफ झलक रहा है। KCR को डर है कि मुस्लिम तानाशाही की समाप्ति पर जश्न मनाएंगे तो मुसलमान उन्हें वोट नहीं देंगे। इस तुष्टीकरण से KCR सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं बल्कि असदुद्दीन ओवैसी को भी खुश रखना चाहते हैं।

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