उत्तर प्रदेश का सबसे चर्चित उन्नाव कांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। हालांकि इसके सभी दोषियों को सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन सीबीआई की टीम उन्नाव रेप कांड में एक कदम आगे बढ़ते हुए एक आईएएस और दो आईपीएस अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्नाव घटना के दौरान इन तीनों अधिकारियों की तैनाती जिले में थी। बताते चलें कि इस मामले में यहां के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई सहित अन्य आरोपियों को सीबीआई कोर्ट ने पहले ही दोषी ठहरा चुकी है। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा भी हो चुकी है। इसके बाद सेंगर की विधानसभा की सदस्यता भी समाप्त कर दी गई थी।
वहीं इस मामले की जांच कर रही सीबीआई को तीन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध लग रही है, जिसके बाद सीबीआई ने शासन को इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। इस मामले में माखी कोतवाली के तत्कालीन थानाध्यक्ष पहले ही दोषी करार दिए जा चुके हैं। ज्ञात हो कि उन्नाव में कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों ने एक नाबालिग लड़की को अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इतना ही नहीं पीड़िता के शिकायत करने पर उसके पिता को इतना मारा गया था कि उसकी मौत हो गई थी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर यह मामला उत्तर प्रदेश से दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
इसके बाद तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर, 2019 को दुष्कर्म किए जाने के मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका था। सजा के बाद कुलदीप सिंह सेंगर की यूपी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। इतना ही नहीं दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सिंह सेंगर सहित सात अन्य को दस साल सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई अतुल सेंगर को पीड़िता के परिवार को 10-10 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने का भी आदेश दिया है।
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