अमेरिकी प्राइवेट कंपनियों ने ट्रम्प के खिलाफ CCP से हाथ मिला लिया है, ट्रम्प को पहले इनसे निपटना होगा

 


अमेरिका और चीन के बीच के ट्रेड वॉर से भी सभी परिचित हैं। लेकिन वुहान वायरस दुनिया भर में फैलाने के लिए चीन को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तगड़ा सबक सिखाना चाहते हैं। परंतु इस अभियान में उनका साथ देने के बजाए अमेरिका के कॉर्पोरेट जगत के दिग्गज चीन के तलवे चाटते रहना चाहते हैं, और इस कारण से डोनाल्ड ट्रम्प के लिए आगे की लड़ाई काफी कठिन हो रही है।

अमेरिकी कॉर्पोरेट दिग्गज, जैसे कि टेस्ला, फोर्ड एवं मर्सिडीज़ बेंज़ ने हाल ही में चीनी उत्पादों पर टैरिफ के संबंध में अमेरिकी प्रशासन के विरुद्ध अदालत में मुकदमा दर्ज किया है। जहां टेस्ला ने अमेरिकी प्रशासन पर अपनी सीमाएं लांघने का आरोप लगाया है, तो वहीं Mercedes-Benz (मर्सिडीज़ बेन्ज़) ने अमेरिकी प्रशासन पर चीन के साथ 500 बिलियन डॉलर के आयात को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है!

ऑटोमोबाइल के परिप्रेक्ष्य से चीन विश्व का सबसे बड़ा मार्केट है, और इसीलिए अमेरिकी कॉर्पोरेट दिग्गज अमेरिकी प्रशासन की चीन पर कार्रवाई से बिलबिलाए हुए हैं। टीएफ़आई ने इससे पहले अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया था कि कैसे अमेरिका चीन से कपास और टमाटर के आयात पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने की ओर अग्रसर है

परंतु अमेरिकी कॉर्पोरेट जगत को इससे भी तकलीफ हो रही है। American Apparel & Footwear Association के अध्यक्ष स्टीफेन लमार ने कहा कि चीन द्वारा कपास और अन्य उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाना सप्लाई चेन के लिए बहुत घातक होगा, और शिंजियांग प्रांत से कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाना लगभग असंभव होगा।

जैसा कि टीएफ़आई ने पहले रिपोर्ट किया था, अमेरिकी कॉर्पोरेट दिग्गज पहले ही अमेरिकी प्रशासन द्वारा चीन से सभी नाते तोड़ने के लिए अभियान को खत्म करना चाहते हैं, ताकि वैश्विक सप्लाई चेन पर चीन का वर्चस्व बना रहे। उदाहरण के लिए 2019 में 5 अहम अमेरिकी बैंक ने चीन में लगभग 71 ट्रिलियन डॉलर का भारी निवेश किया था, जिसमें जेपी मॉर्गन का हिस्सा एकेले 19.2 बिलियन डॉलर का था। 2018 के मुक़ाबले ये राशि 10 प्रतिशत तक बढ़ी है। वॉल स्ट्रीट के दिग्गज माने जाने वाले Goldman Sachs Inc  और JP Morgan Chase and Co के चीन में निवेश किए गए कई अरब डॉलर दांव पर लगे हुए हैं, और वे कतई नहीं चाहेंगे कि उनके पैसों को तनिक भी नुकसान पहुंचे।  इन कंपनियों के लिए पैसों की भूख इस हद तक पहुंच चुकी है कि ये अपने अमेरिकी दफ्तरों में सीसीपी के Politburo के सदस्यों के संबंधियों तक को नौकरियाँ दे रहे हैं, चाहे उनके पास नौकरियाँ हो, या नहीं।

चीन केवल घोटालेबाज ही नहीं, बल्कि अमेरिका और वैश्विक सुरक्षा दोनों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन चुका है। चाहे इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी हो, रक्षा इनफ्रास्ट्रक्चर की नकल हो, या फिर वित्तीय घोटालों का अंबार हो, आप बोलते जाइए और चीन ने इन सभी कारनामों को अंजाम दिया है। इस समय अमेरिका के कॉर्पोरेट दिग्गजों को चीन के बजाए ट्रम्प प्रशासन का साथ देना चाहिए, क्योंकि वे उन्हे आने वाली मुसीबतों से बचाने के लिए ही एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।

इस समय यदि अमेरिकी कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए कोई वास्तव में एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है, तो वे केवल डोनाल्ड ट्रम्प ही हैं। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के चीन से नाता तोड़ने के अभियान का समर्थन करने के बजाए अमेरिकी कॉर्पोरेट दिग्गज चीन की गुलामी को ही अपने लिए श्रेयस्कर मानते हैं, और ऐसे में एक सवाल तो इन कंपनियों से पूछना बनता है – क्या कंपनी का लाभ देश की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है?

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