शर्मनाक: कोरोना को मात देकर घर लौटी बुजुर्ग मां को इंजीनियर बेटे ने घर से निकाला

 

नई दिल्ली। कहते है अपने ही अपनों के काम आते हैं लेकिन जब अपने पराए हो जाएं तो इंसान कहां जाए। अपनी औलादों के लिए इंसान से लेकर जानवर तक सभी कुछ भी कर जाते हैं। लेकिन इंसान व जानवर में एक फर्क रहता था, जो अब समाप्त होता दिख रहा है। जानवर के बच्चे बड़े होते ही मां का साथ छोड़ देते है, जबकि इंसान के बच्चे बड़े होकर मां—बाप के बुढ़ापे का सहारा बनते हैं। इसी को परिवार कहा जाता है। लेकिन बदलते परिवेश ने इंसान को जानवर की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। आज हम ऐसे माहौल में जी रहे जहां बूढ़े मां—बाप को सहारा देने की जगह उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ दिया जाता है। बच्चों का व्यवहार ऐसा हो गया है जैसे मां—बाप से उनका कोई रिश्ता न रह गया हो। ऐसा ही क्रूर व शर्मनाक मामला तेलंगाना के निजामाबाद से सामने आया है, जहां कोरोना से जंग जीत कर घर लौटी मां को अपने बेटे की बेरुखी से जूझना पड़ रहा है। इंजीनियर बेटा मां को घर में ही घुसने नहीं दे रहा है, जिसके चलते 65 वर्षीय मां को घर के बाहर रात गुजारनी पड़ रही है।

जानकारी के मुताबिक 65 वर्षीय महिला बीते दो दिनों से अपने घर के बाहर खुले में जमीन पर पड़ी है, क्योंकि उसका इंजीनियर बेटा घर में ताला लगाकर परिवार संग बाहर चला गया है। इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि महिला जी. बालमणि को कुछ समय पहले उसके बेटे ने वृद्धाश्रम भेज दिया था। बीते दिनों महिला का कोविड-19 परीक्षण पॉजिटिव आया जिस पर वृद्धाश्रम के केयरटेकर ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया था। लेकिन कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उसका बेटा उसे लेने अस्पताल नहीं गया। उसका बेटा बिजली विभाग में सहायक इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल की तरफ से उसके बेटे को कई बार फोन किया गया, लेकिन उसने उसका कोई जबाव नहीं दिया। इस पर अस्पताल के अधिकारी महिला को उसके घर के बाहर छोड़कर चले गए। लेकिन बेटे ने महिला को घर में घुसने नहीं दिया।

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते वृद्धाश्रम भी बंद हो गया है। ऐसे में कहीं और ठिकाने का सहारा न होने पर महिला घर के दरवाजे के सामने बैठ गई। इसके बावजूद भी बेटे ने मां को घर में घुसने नहीं दिया और अपनी पत्नी-बच्चों के साथ घर में ताला लगाकर वहां से चला गया। बुजुर्ग महिला की दुर्दशा देखकर पड़ोसियों ने उसे खाना-पानी दिया। लेकिन खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारना बूढ़ी मां के लिए मुश्किल हो गया है।

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