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आज और पहले की सियासत में काफी कुछ बदलाव आ चुका है। लेकिन बदलाव का यह स्तर यहां तक पहुंचा जाएगा इसके बारे में कभी नहीं सोचा गया था। बदलाव का यह स्तर अब इतना नीचे गिर जाएगा कि अब सियासी नुमाइंदे अपनी भाषा की मर्यादा को ताक पर रखने से भी गुरजे नहीं करेंगे। यह भी कभी नहीं सोचा गया था। शिवसेना वालों के भी सुरत-ए-हाल आज कल कुछ ऐस ही बने हुए हैं। शिवसेना वाले अब आए दिन वतनपरस्ती की आड़ में भाषा का प्रतिदिन चीरहरण कर रहे हैं। अब इसी बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय का सहारा लेकर देश के वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर यह आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक एजेंडों के तहत ‘हरामखोरी’ कर रहे हैं।
सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि राजनीतिक एजेंडे के तहत देशद्रोही पत्रकार और सुपारीबाज कलाकारों के राजद्रोह का समर्थन करना भी हरामखोरी ही है। बता दें कि सामना ने अपने संपादकीय में बिना नाम लिए अर्णब गोस्वामी पर निशाना साधा है। सामना में लिखा गया है कि यह लोग अब माटी से बेईमानी कर रहे हैं। सामना में लिखा गया है कि जो लोग महाराष्ट्र के बेईमानों के साथ खड़े हैं। उन्हें 106 शहीदों की बद्दुआ लगेगी। राज्य की जनता इन लोगों को कभी माफ नहीं करेगी। वहीं, सामना में लिखा गया है कि इन लोगों ने हिंदुत्व और 106 शहीदों का अपमान किया है। उधर, कंगना के संदर्भ में कहा गया है कि अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि ऐसे लोगों को सरकार विशेष सुरक्षा मुहैया करा रही है।
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