‘हमारे सदस्य देशों को धमकी देना बंद करो’, ताइवान के पक्ष में खड़े चेक गणराज्य को धमकी देने वाले चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं यूरोपीय देश


यूरोपीय देशों को मनाने में जुटे चीन को रोज नए नए झटके लग रहे हैं। पाँच देशों की यात्रा पर गए चीन के विदेश मंत्री गए तो थे इन देशों को चीन के पक्ष में करने लेकिन अब यूरोपीय देश एकजुट होकर चीन के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं। ये सभी चीन के खिलाफ जाते हुए ताइवान को समर्थन रहे हैं और चेक रिपब्लिक के साथ खड़े हैं।

दरअसल, EU का ही एक सदस्य चेक गणराज्य ने चीन की नाक में दम कर रखा है और अपने एक प्रतिनिधिमंडल को One China Policy के खिलाफ ताइवान की यात्रा पर भेजा था। इस दौरान कार्यक्रम में चेक सीनेट के अध्यक्ष Vystrcil ने ताइवान के लिए समर्थन दिखाते हुए अपने आप को ताइवानी बता दिया। उन्होंने कहा कि “मैं ताइवानी हूं।” उनका यह भाषण अमेरिकी राष्ट्रपति John F Kennedy से प्रेरित था जब उन्होंने बर्लिन को अपना समर्थन देते हुए अपने आप को बर्लिन का घोषित कर दिया था।

Vystrcil के इस बयान के बाद चीन का पारा सूर्य की धरती से भी ऊंचा चला गया और चीन ने धमकी देते हुए यह कह दिया कि उन्हें इस बयान के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हालांकि इस धमकी के बाद सभी यूरोपीय देश एकजुट हो गए और चीन के खिलाफ चेक गणराज्य के साथ खड़े हो गए।

दरअसल, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 31 अगस्त को अपने जर्मन समकक्ष, Heiko Maas के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चेक गणराज्य के सीनेट के अध्यक्ष Vystrcil ने “अपनी हदों को पार किया।” उन्होंने कहा कि चेक सीनेट के अध्यक्ष बीजिंग की “One China Policy” को सार्वजनिक रूप से चुनौती देने और ताइवान की स्वतंत्रता के समर्थकों को प्रोत्साहित करने के लिए “भारी कीमत चुकाएंगे”।

धमकियों के बावजूद, Vystrcil ने कहा कि चेक गणराज्य बीजिंग की अनुचित मांग के आगे नहीं झुकेगा और उसकी यात्रा को एक घरेलू मामला बताया। वहीं प्राग के एक जिले के मेयर ने तो चीन की धमकी का जवाब एक बेहद ही आक्रामक लेटर लिख कर दिया। उन्होंने चीन को असभ्य जोकर तक कह दिया।

चीन की इस धमकी के बाद लगभग सभी यरोपीय देश हरकत में आ गए और अपना अपना समर्थन चेक गणराज्य को दिया। जर्मनी, फ्रांस, स्लोवाकिया जैसे देशों ने खुल कर चीन की इन धमकियों के खिलाफ चेक गणराज्य के साथ खड़े दिखाई दिये।

स्लोवाकिया की राष्ट्रपति Zuzana Caputova ने चेक गणराज्य के ताइवान की यात्रा करने वाले प्रतिनिधिमंडल को चीन द्वारा दी गई धमकी के बाद अपना पूरा समर्थन दिया है और कहा है कि किसी यरोपीय देश पर इस तरह से धमकी अस्वीकार्य  है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “स्लोवाकिया चेक गणराज्य द्वारा खड़ा है। यूरोपीय संघ के साथ बीजिंग के संबंध” बातचीत और पारस्परिक सम्मान पर आधारित हैं। परंतु यूरोपीय संघ के किसी भी सदस्य को धमकी हमारे सम्बन्धों के विपरीत है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

वहीं जर्मनी के विदेश मंत्री Heiko Maas ने चीन के विदेश मंत्री के सामने की चेक गणराज्य के सामने यह कह दिया कि, “हम यूरोपीय देश एक साथ सहयोग से काम करते हैं – हम अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को सम्मान देते हैं, और हम उनसे भी यही उम्मीद करते हैं। धमकी यहाँ नहीं चलने वाली है।”

अभी तक चीन के पक्ष में दिखाई देने वाले जर्मनी ने भी चीन को स्पष्ट जवाब दिया कि यहाँ धमकी नहीं चलेगी। जर्मनी ने सीधे तौर पर कहा है कि ताइवान और होन्ग कोंग को लेकर बीजिंग यूरोपीय देशों को धमकी देना बंद करे। यह जर्मनी में चीन के खिलाफ बदलते रुख को ही दर्शाता है।

वहीं फ्रांस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “यूरोपीय संघ के सदस्य राज्य के खिलाफ किसी भी प्रकार की धमकी अस्वीकार्य है।”

रेडियो ताइवान इंटरनेशनल के रिपोर्ट के अनुसार अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों ने भी बीजिंग के Wolf Warrior Diplomacy की आलोचना की, और बीजिंग को यूरोपीय संघ के सदस्य देश को धमकी देने के बजाय सम्मान अपनाने की सलाह दी।

अगर देखा जाए तो अभी तक EU अमेरिका और चीन के बीच यह तय नहीं कर पा रहा था कि किसे समर्थन दिया जाए। इस कारण से वह लगातार चीन को भी बचाता आया था परंतु EU सदस्य चेक गणराज्य के खिलाफ चीन की धमकी ने सभी देशों को एक साथ कर दिया है और वे सभी चीन के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं। EU का चीन के खिलाफ एक साथ आने से यह भी स्पष्ट होता है कि अब वह चीन के दबाव में नहीं आने वाले हैं। अगर चीन इसी तरह से दमकी देता रहा तो अभी वैश्विक स्तर पर अपने एक मात्र दोस्त को भी खो देगा।

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