लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में भ्रष्टाचार में लिप्त आईपीएस अधिकारियों पर जल्द सख्त कार्रवाई हो सकती है। विजिलेंस ने दो आईपीएस अधिकारी सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। इन आईपीएस अधिकारियों का नाम अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार है। जो प्रदेश का चर्चित चेहरे हैं। इन अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस ने अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है। वहीं इन एफआईआर में कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय सहित पांच लोगों का नाम भी है। इन अधिकारियों पर शासन की मंजूरी मिलने के बाद ही एफआईआर दर्ज की गयी है। शिकायत के बाद जब विजिलेंस इन दोनों अफसरों के खिलाफ जाँच शुरू की तो आरोप सही पाए गए जिसके बाद ही विजिलेंस की ओर से शासन से सिफारिश की गई थी कि आईपीएस अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर सख्त कार्रवाई हो।
जिसके बाद अब माना जा रहा है कि इन दोनों अधिकारियों को जल्द निलंबन हो सकता है। शासन को भेजी रिपोर्ट में विजिलेंस ने इन दोनों अफसरों पर लगे ज्यादातर आरोपों को सही बताया है। खबरों के अनुसार, अपनी पोस्टिंग को लेकर आईपीएस अजय पाल शर्मा और बिचौलियों के बीच हुई बातचीत को लेकर जो वायस सैपल लिए गए थे वो सही पाए गए हैं। वहीं आईपीएस हिमांशु कुमार की भी व्हाट्सएप चैट के मैसेज भी सही पाए गए हैं। अधिकारियों पर लगे आरोपों की जाँच विजिलेंस ने शुरू की तो अधिकारियों के सौदेबाजी में लगे दूसरे लोगों से भी सख्त सवाल जवाब किये। सभी बिंदुओं पर जाँच करते हुए विजिलेंस टीम ने पाया कि अफसर भ्रष्टाचार में संलिप्त थे। जिसके बाद इन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि आईपीएस अजय पाल शर्मा, गणेश साहा सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा और हिमांशु कुमार पर वैभव कृष्ण ने नोएडा के एसएसपी रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लागए थे। इसके बाद हुई जांच में तीन अफसरों के खिलाफ सबूत नहीं मिले थे जिनमे राजीव नारायण और गणेश साहा और सुधीर कुमार सिंह का नाम था। वहीं हिमांशु और अजय पाल के खिलाफ सबूत मिलने के बाद विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई थी।
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