देश का सबसे बड़ा केस लड़ने वाले केशवानंद भारती का निधन, पीएम ने जताया शोक

 

जिस संविधान की आज पूरा देश दुहाई देता हुआ नजर आता है, उस संविधान की गरिमा को बचाने की लड़ाई लड़ने वाले संत केशवानंद भारती का निधन हो गया है। उन्होंंने संविधान के बुनियादी ढांचे को अक्षुण्ण रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी थी। संत केशवानंद भारती का आज निधन हो गया। 79 वर्षीय केशवानंद भारती केरल के कासागोड़ जिले के रहने वाले थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर श्रद्धांजलि देते हुए दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूज्य केशवानंद भारती देश के महान संत और समाज सुधारकों में से एक थे। उन्होंने संविधान के मूल्यों को आगे बढ़ाने और देश की संस्कृति के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया। ओम शांति…

गौरतलब है कि केशवानन्द भारती ने केरल के भूमिहीन किसानों को जमीन बांटने के लिए राज्य सरकार द्वारा लाए गए भूमि सुधार कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। उस याचिका में केशवानन्द भारती ने केरल भूमि सुधार कानून 1963 को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने संबंधी 29वें संविधान संशोधन को चुनौती दी थी। उन्होंने इस कानून को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 13 सदस्यीय संविधान पीठ गठित की थी, 68 दिनों तक मामले की सुनवाई हुई थी। इसी सुनवाई में ‘बुनियादी ढांचा सिद्धांत’ उभर कर सामने आया। केशवानन्द भारती की तरफ से जाने—माने वकील नानी पालकीवाला ने बहस की थी।

बताते चलें कि इस चर्चित मुकदमे में 24 अप्रैल, 1973 को सुप्रीम कोर्ट ने 7:6 के बहुमत को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया था। जबकि केशवानंद भारती को इस मुकदमे में व्यक्तिगत राहत नहीं दी गई थी। लेकिन इसी के चलते एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सिद्धांत प्रतिपादित हुआ जिसके तहत संविधान संशोधन के संसद के अधिकारों को सीमित किया जा सका।

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