बुलेट ट्रेन को स्पीड पकड़ने में लगेगा वक्त, प्रोजेक्ट की राह में कई रोड़े

भारत की पहली बुलेट ट्रेन कई मोर्चों पर अटकती नजर आ रही है। इसके चलते इस परियोजना के पूरे होने में करीब 5 वर्षों की देरी हो सकती है। परियोजना के अटकने के पीछे कई कारण हैं। इसमें जापानी कंपनियों की कम हिस्सेदारी, नीलामी में सही बोली न लगने की वजह से निरस्त हुए टेंडर, भूमि अधिग्रहण में भी चल रही देरी जैसे कारण हैं। मीडिया खबरों की मानें तो रेलवे अब इस परियोजना के 2028 में पूरा होने की उम्मीद जता रहा है। जबकि इसके पूरे होने की डेडलाइन दिसंबर 2023 तय थी। खबरों के मुताबिक प्रॉजेक्ट पर काम कर रही जापानी टीम के साथ विचार—विमर्श करने के बाद संशोधित टाइमलाइन का अनुमान लगाया गया है।

गौरतलब है कि 508 किलोमीटर की मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण होना है। जापानी टेक्नॉलाजी की मदद से पूरे सिस्टम को तैयार किया जाना है। भारत की मंशा, इस प्रॉजेक्ट के कुछ भाग को आजादी की 75वीं सालगिरह तक मतलब अगस्त 2022 तक तैयार करने का था। जानकारी के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन 21 किलोमीटर के अंडरग्राउंड स्ट्रेच के लिए जापान की ओर से हिस्सेदारी नहीं मिली है। वहीं 21 किलोमीटर के इस अंडरग्राउंड स्ट्रेच में से लगभग 7 किमी का सेक्शन मुंबई के करीब समुद्र से होकर जाना है। इसको लेकर अभी तक डील फाइनल नहीं हो सकी है।

इस स्ट्रेच के निर्माण के लिए अडवांस बोरिंग मशीन और स्पेशल टेक्निकल मेथड की आवश्यकता होगी। इसको पूरा करने में 60 महीनों से ज्यादा का समय लग सकता है। जापानी कंपनियों की ओर से 11 टेंडर्स की बोली अनुमानित दर से 90 फीसदी ज्यादा की लगाई गई है। खबरों की मानें तो भारत ने अधिक दर से इनकार कर दिया है। वहीं जमीन अधिग्रहण में हो रही देरी के चलते दिसंबर 2017 में शुरू होने के अनुमान वाला काम अभी अटका पड़ा है। महाराष्ट्र में 430 हेक्टेअर जमीन में से लगभग 100 हेक्टेअर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। गुजरात में करीब एक हजार एकड़ जमीन के अधिग्रहण का काम इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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