कोरोना काल में फिर से खुले स्कूल, लेकिन नहीं आए बच्चे

 

जम्मू। कोरोना संकट के बीच जहां जन—जीवन फिर से पटरी पर लौटने लगी है वहीं आज कुछ राज्यों में स्कूलों को खोला गया है। लगभग छह महीने से बंद पड़े स्कूल सोमवार को तो खुले लेकिन बच्चों की उपस्थिति न के बराबर रही। हालांकि स्कूल की तरफ से कोरोना वायरस से बचने के सभी प्रोटोकाल का पालन करना सुनिश्चित किया गया है, बावजूद इसके अभी भी कोई अभिभावक अपने पालकों स्कूल भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बता दें कि कोरोना का संकट अभी टला नहीं है। सब कुछ खुल जाने से अधिकत्तर लोगों को लगने लगा है कि स्थिति अब सामान्य हो गई है। लेकिन जिस हिसाब से कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे है उससे स्थिति की भयानकता को समझा जा सकता है।

ज्ञात हो कि करीब छह महीने के लंबे अंतराल के बाद आज जम्मू के सभी स्कूलों को खोला गया। लेकिन बच्चे स्कूल से नदारद रहे। स्कूल खुलने पर सुबह से स्कूलों में शिक्षक और अन्य स्टाफ पहुंचे, लेकिन छात्र नहीं नजर आए। जबकि स्कूलों में करोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए प्रोटोकाल के तहत कई तरह के इंतजाम किए गए हैं। बच्चों का स्कूलों में न आने के पीछे सबसे बड़ा कारण है डर और अभी जो हालात बने हुए हैं ऐसे में कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है। सबका मानना है कि जब हम महामारी से बचने के लिए छह महीने तक इंतजार कर सकते हैं तो दो—तीन महीने और रुकने में हर्ज ही क्या है?

कोरोना से बचने के प्रोटोकाल के तहत स्कूलों में क्लास और स्टाफ रूम को पहले से ही कई बार सैनिटाइज किया जा चुका है। स्कूल में सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए 2 गज की दूरी पर गोले का मार्क कर दिया गया है। क्लास रूम्स में एक बेंच पर एक ही बच्चे को बैठाने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ अभिभावकों को बच्चों को सैनिटाइजर, मास्क व दस्ताने दस्ताने के साथ भेजने के लिए कहा गया है।

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