‘अपने आप गिरा ढांचा, तस्वीरों से कुछ साबित नहीं होता’ यह फैसला सुनाने वाले जज अब क्यों हो रहे रिटायर?

आज..30 सितंबर 2020…तकरीबन 28 साल बाद..बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण को लेकर फैसला आ चुका है। सीबीआई की विशेष अदालत इसे लेकर अपना अंतिम फैसला सुना चुकी है। बता दें कि कोर्ट ने 300 पन्नों के अपने फैसलों में जीवित बचे सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई सुबूत न मिलने के चलते इन्हें बरी करने का फैसला किया है। उधर, इस पूरे मामले को लेकर फैसला सुनाने वाले सीबीआई अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव रिटायर होने जा रहे हैं। भला इसे एक संयोग नहीं तो फिर इसे क्या कहेंगे कि आज के दिन जहां बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण को लेकर उन्होंने फैसला सुनाया तो वहीं दूसरी तरफ आज ही वे कार्यमुक्त होने जा रहे हैं।

यहां पर हम आपको बताते चले कि आज उनके कार्यकाल का अंतिम दिन है। आज शाम पांच बजे के बाद वे रिटायर हो जाएंगे। हालांकि रिटायर तो वे आज से एक वर्ष पूर्व ही होने वाले थे,  लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अपने फैसले में साफ कह दिया था कि जब तक बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को लेकर अंतिम फैसला नहीं आ जाता है, तब तक उन्हें रिटायर न किया जाए। वहीं, जब वे सभी इस मामले को लेकर अपना अंतिम फैसला सुना चुके हैं तो उनके रिटायरमेंट की घड़ी अब नजदीक ही आ चुकी है।

अयोध्या से रहा पुराना नाता.. 
सीबीआई विशेष अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव का अयोध्या से पुराना नाता रहा है। उनकी पहली तैनाती भी वहीं हुई थी और तो और उनका जन्म भी जौनपुर में ही हुआ था। जरा इस नाते को अगर इतिहास में दर्ज हो चुकी तारीखों के जरिए समझने की कोशिश करें तो 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था। इससे दो साल पहले 8 जून 1990 को ही सुरेंद्र कुमार यादव ने बतौर मुनसिफ अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी। सुरेंद्र कुमार यादव की पहली नियुक्ति अयोध्या में हुई थी और 1993 तक वो यहां रहे थे।  इन तिथियों से साफ परिलक्षित है कि जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया गया था.. उस वक्त सुरेंद्र कुमार यादव की पोस्टिंग भी वहीं हुई थी। 

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