भगवान बुद्ध के मृत्यु से संबंधित ये कथा बहुत ही रोचक है!

 भगवान बुद्ध के जीवन के सबसे अंतिम चार महीनों का प्रमाण बहुत ही स्पष्ट है। इन अंतिम तीन महीनों में ही जो प्रमाण मिलते हैं वो भगवान बुद्ध के महा-परिनिर्वाण यानी कि उनकी मृत्यु के बारे में गहरे रेज़ खेलते हैं। जी हाँ, हम आपको बता दें कि भगवान बुद्ध के महा-परिनिर्वाण से ठीक तीन महीने पहले माघ महीने की पूर्णिमा के दिन वैशाली में वो वहाँ के अम्बपाली को संघ में शामिल किया था। इस वक़्त भगवान बुद्ध की उम्र लगभग 80 वर्ष की बताई जाती है और भगवान बुद्ध ने अपने मृत्यु के बारे में महा-परिनिर्वाण से तीन महीने पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी।

ग़ौरतलब है कि इन दौरान भगवान बुद्ध ने अपने परम् शिष्य आनंद को बताया था कि हे आनन्द! आज से तीन वर्ष पश्चात तथागत का आयु संस्कार सम्पन्न होगा। यहाँ आयु संस्कार से भगवान बुद्ध का तात्पर्य पालि भाषा में महा-परिनिर्वाण यानी कि मृत्यु को कहते हैं। भगवान बुद्ध की इस घोषणा के बाद ही वह एकान्त को चले गये।
इस बात के भी ख़ूब प्रमाण मिलते हैं कि भगवान बुद्ध जब अपने मृत्यु के निकट थे तो उनका शरीर ख़ास तौर पर उनका पेट बहुत दर्द कर रहा था और शरीर भी जर्ज़र हो चुका था। ये बात उनकी भोजन शैली और खाये जाने वाले पदार्थों का विश्लेषण करके पता चलता है।

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