च्यवनप्राश ने कर दिया कमाल, कोरोना को होने से रोका, विशेषज्ञों की मेहनत लाई रंग

कोरोना के मरीज भारत में काफी तेजी से बढ़ते चले जा रहे हैं लेकिन इस जानलेवा संक्रमण के इलाज के लिए पूरी दुनिया के पास वैक्सीन नहीं है। इस बीच किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा, बीसीजी और च्यवनप्राश के ट्रायल पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं। जो हेल्थ वर्कर कोरोना से संक्रमित हुए थे उन पर बीसीजी का ट्रायल हुआ है। जिसके बाद उनमे संक्रमण कम हुआ है। तो वहीं संक्रमित मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी भी काफी मददगार साबित हो रहे है। इसकी वजह से कई मरीजों की जान बचाई जा चुकी है। इन प्रयोग के सकारात्मक नतीजे देखने के बाद विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम काफी उत्साहित और खुश हैं। ट्रायल में तीन महीने तक शामिल लोगों पर नजर रखी जा रही है और अब तक नतीजों का मूल्यांकन शुरू हो चुका है।

प्लाज्मा थेरेपी का पहला ट्रायल KGMU में 26 अप्रैल से शुरू हुआ था। जो 12 लोगों पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइन के आधार शुरू हुआ है। बताया जा रहा है कि इनमे से 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को इसका लाभ भी मिला था और अब तक लगभग 50 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई है जिसमे से 41 की जान बचाई गई है। ट्रायल के दौरान प्लाज्मा थेरेपी के अब तक सामने आए सकारात्मक नतीजों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR ने सभी मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थानों को इसे देने के निर्देश जारी किये हैं।

PGI में भी अब तक 21 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई है जिनमे से 21 की जान बचाई गई है। वहीं लोहिया में भी 10 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है। इसके आलावा KGMU में 100 कर्मचारियों को च्यवनप्राश और आयुष 64 दवा दी गई और 100 कर्मचारियों को नहीं दी गई। जिसके बाद दवा और च्यवनप्राश खाने वाले और न खाने वालों की रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) की जाँच की गई। जिसके जो नतीजे सामने आए वो काफी सकारात्मक है और दवा और च्यवनप्राश लेने वाले बीमार ही नहीं हुए।

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