देवभूमि का वो रहस्यमयी शिव मंदिर, जहां पूजा करना मना है..जानिए कहानी

 


देवभूमि उत्तराखंड को देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है। देवभूमि अपनी सुंदरता और हरियाली के लिए तो फेमस है ही। लेकिन देवभूमि देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए भी काफी मशहूर है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां भगवान शिव का मंदिर तो है लेकिन वहां पूजा करना मना है। भगवान शिव का ये मंदिर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 76 किलोमीटर दूर बल्तिर के एक हथिया देवाल में स्थित है। इस मंदिर को अभिशप्त शिवालय भी कहते हैं।

मंदिर बनाने वाले कारीगर था सिर्फ एक हाथ
ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर एक रात में बनकर तैयार हुआ है और जिस कारीगर ने इसे बनाया उसका सिर्फ एक ही हाथ था। यानि कारीगर ने एक रात में अपने एक हाथ से भगवान शिव का मंदिर बनाया। इसी कारण इस मंदिर की जगह को एक हथिया देवाल कहते हैं।

भगवान शिव के इस मंदिर में श्रद्धालु काफी दूर-दूर से उनके दर्शन करने आते हैं। लेकिन कोई श्रद्धालु पूजा नहीं करता। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि,
जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा करेगा। उसकी पूजा उस व्यक्ति के लिए फलदायी नहीं होगी। 

मंदिर से जुड़ी मान्यता
मंदिर को बनाने वाले कारीगर ने एक रात में तैयार किया था। पर जब पुजारियों ने शिवलिंग देखा तो उसका जलाधारी उल्टी दिशा में बनी थी। जिसे सही करने के लिए काफी प्रयत्न किए गए। लेकिन अरघा सही नहीं हुआ। तभी पुजारियों ने ये कहा कि, इस शिवलिंग की जो पूजा करेगा उसे पूजा का फल नहीं मिलेगा। और ये भी हो सकता है कि पूजा करने वाले व्यक्ति को ज्यादा क्षति हो। क्योंकि ये शिवलिंग दोषपूर्ण है। यही कारण है कि भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती। लेकिन मंदिर के पास में ही एक जल सरोवर है। जिसे उत्तराखंडी भाषा में नौला कहते हैं। वहां जब बच्चों का मुंडन होता हो तो उन्हें नौला में नहलाया जाता है।

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