जिनपिंग की करारी बेइज्ज़ती के बाद चीनी विदेश मंत्री अपनी नाक बचाने जापान की यात्रा करेंगे


जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा लगातार वैश्विक नेताओं से बातचीत कर अपने रिश्तों को मजबूत करने में व्यस्त हैं। लेकिन चीन को लेकर उनका रवैया शी जिनपिंग के लिए एक तगड़े झटके की तरह ही है और इसीलिए अप्रैल में आबे द्वारा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जापान यात्रा को रद्द करने के बावजूद चीन अब रिश्तों को मजबूत करने के लिए अपने विदेश मंत्री को जापान भेजना चाहता है जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों की तल्खियां को थोड़ा कम किया जा सके। गौरतलब है कि सुगा के पदभार संभालने के बाद चीन को डर है कि कहीं जापान उसके खिलाफ और ज़्यादा आक्रामक रवैया अख़्तियार ना कर ले ।

जापान यात्रा पर चीनी विदेश मंत्री

दरअसल जिनपिंग और सुगा की क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के बाद चीनी सरकार के सूत्रों ने बताया कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी अक्टूबर की शुरुआत में जापान की आधिकारिक यात्रा पर जा सकते हैं। इस दौरान वांग वहां प्रधानमंत्री सुगा के अलावा अपने समकक्ष तोशिमित्सू मोटेगी के साथ द्विपक्षीय रिश्तों पर चर्चा करेंगे। इस यात्रा का ऐलान शुक्रवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम योशिहिदे सुगा की टेलीफोन पर बातचीत के दौरान किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों राष्ट्र प्रमुख रिश्तों को अधिक मजबूत बनाने की नीति पर सहमत हुए हैं।

डरा हुआ है चीन

गौरतलब है कि जापान के पीएम शिंजो आबे के जाने और सुगा के नए पीएम बनने के बाद से चीन की बेचैनी और अधिक बढ़ गयी है। दोनों के बीच तल्खियां पहले ही अधिक हैं। ऐसे में सुगा लगातार भारत, अमेरिका, इटली और ब्रिटेन के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत कर रहे हैं और अपने रिश्तों को और अधिक मजबूत बनाने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं लेकिन चीन को सुगा ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं।

चीन को इस बात का भी डर है कि अगर अब चीन के राष्ट्रपति दोबारा जापान यात्रा पर जाने की बात करते हैं तो उन्हें जापान में भयंकर विरोध का सामना करना पड़ सकता है, जिसके कारण जिनपिंग को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अब की बार उन्होंने खुद न जाकर अपने विदेश मंत्री को ही जापान यात्रा पर भेजने का मन बनाया है।

ताइवान के साथ बातचीत

जापान का रुख ताइवान के प्रति हमेशा ही थोड़ा नर्म रहा है। दोनों के बीच आधिकारिक बातचीत की भी संभावनाएं हैं। ऐसे में यदि जापान और ताइवान के बीच कोई आधिकारिक रिश्तों की शुरुआत होती है तो ये चीन के लिए डबल झटके से कम नहीं होगा क्योंकि चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है जबकि ताइवान इसे सिरे से खारिज करता रहा है। सुगा ताइवान के पुराने समर्थक रहे हैं और चीन को इस बात का भी भय है कि कहीं ताइवान और जापान के कूटनीतिक संबंध स्थापित ना हो जाएँ।

भारत के प्रति सकारात्मक रुख

भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से विवाद जारी है ऐसे में जापान हर बार की तरह ही भारत के पक्ष में खड़ा है। भारत के प्रति आबे की तरह ही सुगा का रुख भी बिल्कुल एक जैसा ही है। सुगा ने प्रधानमंत्री बनने के बाद करीब 25 मिनट तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की और रिश्तों को अधिक मजबूत बनाने के रोड मैप पर विचार विमर्श किया। इस बातचीत में दोनों ने विदेश नीति से लेकर वैश्विक साझेदारियों पर आगे बढ़ने पर विशेष बातचीत की थी।

सुगा ने पूर्णतः Open and Free इंडो-पैसेफिक बनाने के भारतीय एजेंडों को भी आगे बढ़ाने की बात कही। साथ ही Quad में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जापानी पीएम ने सहयोग में वृद्धि पर भी जोर दिया। अमेरिका से लेकर जापान तक सभी भारत के साथ खड़े है दूसरी ओर चीन का अलग पड़ना उसको खौफनाक लग रहा है। गौरतलब है कि जापान पड़ोसी राष्ट्र के तौर पर चीन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है ऐसे में उसका भारत के प्रति नर्म रवैया चीन को परेशान करने वाला है।

जापान ने कोरोनावायरस की शुरुआत के बाद से ही चीन से दूरियां बना लीं हैं। जापान की नज़र में चीन का महत्व पहले से बेहद कम हो गया है। यहां तक कि चीनी राष्ट्रपति की जापानियों द्वारा यात्रा रद्द करना चीन के लिए किसी सदमे सा है। दोनों देशों के बीच बातचीत तो हुई है लेकिन जानकार इसे भी ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं बल्कि इसे एक औपचारिकता माना जा रहा है।

चीन पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है और इस स्थिति में चीन जापान के साथ समन्वय बनाना चाहता है। इसलिए शी जिनपिंग की यात्रा रद्द होने की बेइज्जती के बावजूद चीन अपने विदेश मंत्री को रिश्ते सुधारने के लिए भेज रहा है जो कि उसके अकेलेपन और सहमे रवैए को दिखाता है।

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