चाय की दुकान पर मिले ताने ने बनाया एसडीएम, ताला पैक करने वाले के बेटे ने रचा इतिहास

चाय की दुकान पर मिले ताने ने बनाया एसडीएम, ताला पैक करने वाले के बेटे ने रचा इतिहास

समाजसेवा की धुन या बड़ा अधिकारी बनने की चाह में एसडीएम बनने वाले कई प्रतिभाशाली और मेहनती लोग हैं, लेकिन चाय की दुकान पर मिले ताने ने एसडीएम बनने को मजबूर कर दिया, ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जी हां, ये कहानी है आदर्श नगर आवास विकास निवासी गोपाल शर्मा की, गोपाल ने हिंदी मीडियम से परीक्षा देने वालों में यूपी में पहला स्थान हासिल किया है, उन्होने बताया कि सातवीं कक्षा में पढने के लिये स्कूल जाते थे, तो रास्ते में चाय की दुकान पड़ती थी, वहां एक लड़का चाय बेचता था, वो पढने में होशियार था, लेकिन उसके घर वाले उसे रड और डंडे से पीटते थे, कहते थे पढाई छोड़ पहले चाय पहुंचाकर आ, ये देखकर उन्होने लड़के के अभिभावकों से बात की, उन्हें कहा कि इसे पढने दीजिए, तब पिता ने कहा पहले तू पढ लिखकर कलेक्टर बन ले, फिर इसे बनाना, इसी दिन से कलेक्टर बनने की ठानी, दादा रामजीलाल शर्मा से इस बारे में जानकारी लेना शुरु किया, दादा ने भी भरपूर मदद की।

गोल्ड मेडलिस्ट से एसडीएम तक का सफर
23 वर्षीय गोपाल शर्मा ने बताया कि उन्होने साल 2011 में सरस्वती विद्या मंदिर से 90 फीसदी अंकों के साथ 10वीं तथा रघुवीर इंटर कॉलेज से 82 फीसदी अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की, 
2016 में डीएस कॉलेज से ग्रेजुएट हुए, वो यूनिवर्सिटी टॉपर रहे, गणित में दो गोल्ड मेडल जीते, फिर 2018 में पहली कोशिश में ही यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर ली।

ट्यूशन पढा खुद का उठाया खर्चा
गोपाल ने बताया कि उनके पिता अशोक कुमार शर्मा ताला फैक्ट्री में पैकेजिंग का काम करते हैं, साल 2011 में मां सुधा देवी का निधन हो गया था, 
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिये 2017 में इंटर कॉलेज इगलास में 11वीं और 12वीं के बच्चों को गणित का ट्यूशन देते थे, ताकि कुछ पैसे मिल सके, जिससे वो यूपी पीसीएस की परीक्षा की तैयारी कर सके, उनकी किताबें खरीद सके।

2018 में पहला स्मार्टफोन
गोपाल शर्मा ने बताया कि दादाजी ने कहा था कि पहले डिप्टी कलेक्टर बन जाओ, फिर कलेक्टर भी बन जाओगे, इसलिये मोबाइल, टीवी सब छोड़कर नियमित रुप से 12 से 14 घंटे पढाई की, 
2018 में पहला स्मार्टफोन खरीदा, उस पर भी व्हाट्सएप्प के जरिये शिक्षण सामाग्री जुटाने का काम ही ककता था, इंटरव्यू से पहले राज्यसभा टीवी चैनल देखने के लिये टीवी चलाते थे।

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