राज्यसभा से भी पास हुए किसानों से जुड़े दोनों बिल, क्रांतिकारी परिवर्तन आने की उम्मीद

 

नई दिल्ली। विपक्ष के लगातार विरोध के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी किसानों से जुड़े दो विधेयक पास कर दिए गए हैं। ये दोनों विधेयक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण), कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 है। सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन के वेल में आकर जमकर नारेबाजी की। हंगामें को बढ़ता देख राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने विपक्षी सांसदों को अपनी सीटों पर लौटने के लिए कहा। कृषि बिलों को लेकर सदन में भारी शोर—शराबे को देखते हुए सदन की कार्यवाही कल यानी सोमवार सुबह 9 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। किसानों से जुड़े इस विधेयक के पास हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब​धाई देते हुए ट्वीट किया कि भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा, बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।

गौरतलब है कि बिल के विरोध में नारेबाजी करते हुए विपक्षी दलों के सांसद उपसभापति के आसन तक पहुंच गए। इस दौरान केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे। हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए बाधित हो गई। वहीं इससे पहले उच्च सदन में केंद्रीय कृषि मंत्री की तरफ से चर्चा के लिए लाए गए दो अहम विधेयकों को विपक्षी दलों के सांसदों की और से पुरजोर विरोध किया गया। विपक्ष की तरफ से दोनों विधेयकों को किसानों के हितों के खिलाफ और कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने वाला करार दिया गया। बता दे कि इन दोनों विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र के वर्ष 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दावे पर कटाक्ष करते हुए राज्यसभा में कहा कि यह वर्ष 2028 से पहले दोगुनी नहीं हो पाएगी। कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान, तृणमूल सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की कोशिश में लगा हुआ है। उन्होंने कहा आपने तो वर्ष 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा किया था। मौजूदा स्थिति से यह वर्ष 2028 से पहले संभव नहीं दिख रहा है। डेरेक ने भूमि अधिग्रहण बिल और तृणमूल के रुख का के बारे में कहा कि बिल पर बोलने के लिए तृणमूल कांग्रेस कितना काबिल है, यह इसी से समझा जा सकता है कि सात साल पहले भूमि अधिग्रहण बिल के दौरान हमने किसानों के हक की बात की थी, जिसपर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसानों के अधिकारों की अनदेखी नहीं किया जा सकता।

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