मुश्किल में ड्रैगन, भारत के बाद थाईलैंड ने दिया चीन को झटका, रद्द की अहम डील

 


LAC पर भारत और चीन का तनाव चरम पर पहुंच गया है। सीमा पर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। जिस वजह से दोनों देशों की सेना आमने-सामने है लेकिन इस बार भारत चीन पर जवाबी कार्रवाई के तौर पर डिजिटल स्ट्राइक कर रहा है। भारत ने अब तक चीन की 224 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे चीन को भारी नुकसान हुआ है। भारत के इस कदम से चीन पूरी तरह बौखला गया है लेकिन अब चीन को भारत के अलावा थाईलैंड ने भी करारा झटका दिया है दरअसल थाईलैंड ने चीन से हुई अपनी एक अहम डील को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया। बताया जा रहा है कि थाईलैंड ने ये फैसला चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए लिया है।

रद्द की सबमरीन डील
साल 2015 में चीन और थाईलैंड के बीच एक महत्वपूर्ण डील हुई थी। ये डील एक सबमरीन की थी। 2017 में थाईलैंड की कैबिनेट ने पहली पनडुब्बी की खरीद को मंजूरी भी दे दी थी। जिसके चलते ही थाईलैंड चीन को 434.1 मिलियन डॉलर की रकम देने वाला था। इसके अलावा दो यूआन क्लास की एस26टी डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को भी खरीदने का प्रस्ताव था इतना ही नही, अगस्त महीने में थाईलैंड सरकार ने संसद में प्रस्ताव पेश किया था। जिसमें चीन को पनडुब्बी की कीमत सात सालों में देने का फैसला लिया गया। लेकिन अब थाईलैंड ने इस डील को कुछ समय के लिए टाल दिया है। जिस वजह से थाईलैंड सरकार ने संसद से अगले साल के बजट से चीन के लिए एंडवांस में पैसे देने की अपनी योजना को भी वापस ले लिया है।

ये है वजह
बता दें कि कुछ समय पहले ही थाईलैंड में प्रधानमंत्री प्रायुत चान-ओ-चा को सत्ता से हटाकर सेना ने कब्जा किया है और थाईलैंड की इस नई सरकार का चीन के साथ काफी अच्छे रिश्ते है लेकिन साउथ चाइना सी में चीन की विस्तावादी नीति को देखते हुए थाईलैंड ने ये कदम उठाया है। दूसरी तरफ चीन का साथ देना थाईलैंड के लिए काफी मुसीबत वाला रहा। चीन का साथ देने की वजह से अमेरिका ने थाईलैंड पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। इतना ही नहीं, चीन से हुई डील की वजह से थाईलैंड की सरकार को अपने देश में भी काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। विपक्षी पार्टियों से लेकर आम जनता ने सरकार की इस डील का विरोध किया। जिस वजह से ही थाइलैंड ने चीन के खिलाफ फैसला लिया है।

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