यह भारत के संघवाद की खूबसूरती ही है जिसने उत्तर प्रदेश को आर्थिक पावरहाउस बनाने का काम किया


दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि, वह राज्य में सभी तरह की भर्ती प्रक्रियाओं को अंजाम देने के लिए एक ही एजेंसी को स्थापित करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला केंद्र सरकार की तर्ज पर लिया था, जिसमें सभी भर्तियों के लिए ऐसा ही फैसला लिया था।

केंद्र सरकार के नक्शे-कदम पर चलकर ठीक ऐसी ही नीति अपने राज्य में लागू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। अब राज्य में सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए एक ही एजेंसी होगी और इसके बाद सभी छात्रों और परीक्षार्थियों के लिए बड़ी राहत मिलने वाली है।

पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश सरकार को अक्सर केंद्र सरकार की नीतियों को राज्य में लागू करते देखा गया है। संघीय ढांचे में किसी भी राज्य सरकार को अपने अधिकारों के अनुसार राज्य में अपने हिसाब से नीति बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, अगर वह राज्य देश के सामान्य स्तर से भी गरीब है, तो उसके लिए यही अच्छा है कि वह अपनी नीतियों को केंद्र सरकार के अनुसार ही बनाए। पिछले कुछ दशकों में उन्हीं राज्यों ने आर्थिक और प्रशासनीय स्तर पर बेहद प्रदर्शन किया है, जिनमें केंद्र सरकार द्वारा बनाई गयी नीतियों का ही पालन किया गया है। उदाहरण के लिए हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्य! इन दो राज्यों में अधिकतर कांग्रेस सरकार का ही शासन रहा और केंद्र में भी कांग्रेस सरकार का ही शासन रहने के कारण इन राज्यों का विकास तेजी से हो पाया।

यहाँ तक कि, जिन राज्यों में कांग्रेस या भाजपा, में से किसी एक की भी सरकार रही है, उन्होंने भी उन राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है जहां क्षेत्रीय पार्टियों का बोलबाला रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार, दोनों ही राज्यों में अधिकतर समय के लिए क्षेत्रीय पार्टियों का ही राज रहा है। इसीलिए ये दोनों ही राज्य देश के सबसे पिछड़े और गरीब राज्यों में गिने जाते हैं।

इन राज्यों में ना सिर्फ प्रशासन बदतर रहा है, बल्कि सरकार की कार्यक्षमता भी निराशाजनक रही है। ऐसे में इन राज्यों को विकास के रास्ते पर लाने का एक ही रास्ता है कि इन राज्यों में केंद्र सरकार की नीतियों को ही लागू किया जाये। अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की नीतियाँ एक समान होती हैं, तो केंद्र सरकार की योजनाओं को राज्यों में लागू करना आसान हो जाता है। इससे उन नीतियों का भरपूर फायदा उठाया जा सकता है।

जब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होती है, तो निवेशक भी उस राज्य में निवेश करने के लिए सहज महसूस करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे राज्यों में एकाएक बड़े नीतिगत बदलाव नहीं किए जाते हैं। पिछले तीन दशकों में यह पहली बार हो रहा है कि, उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियाँ केंद्र सरकार की नीतियों से मेल खा रही हैं।

पिछले बजट में केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार ने भी UP नीति आयोग की स्थापना करने का ऐलान किया था। यह संस्था राज्य सरकार की नीतियों की दिशा और दशा तय करती है। उत्तर प्रदेश देश का वही राज्य है जहां केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे PM-किसान DBT और आयुष्मान भारत के सबसे ज़्यादा लाभार्थी हैं।

केंद्र सरकार की नीतियों का पालन करते हुए ही यूपी सरकार ने अपने यहाँ के श्रम कानूनों में बदलाव किया। इसके अलावा कृषि सेक्टर को ज़्यादा लिबरल करने की नीति भी UP ने केंद्र सरकार के नक्शे-कदम पर चलते हुए ही लागू की। अब UP सरकार केंद्र सरकार की नीतियों का पालन कर बेहतर ढंग से राज्य को संभाल पा रही है। ऐसे वक्त में जब भारत विकास की रफ्तार को तेज करने की बात कर रहा है, तो UP का तेज़ी से विकास करना बेहद आवश्यक है। अच्छी बात यह है कि, योगी UP को उसी दिशा में ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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