रिपोर्ट: कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होंगे बच्चें, ये खास ‘इम्यून सिस्टम’ कर रहा है उनकी सुरक्षा


कोरोना वायरस की दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया है। लगभग 9 महीने से कोरोना वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है। जिस वजह से करोड़ों लोगों की जान खतरें में पड़ गई। इतना ही नहीं, लाखों लोग की कोरोना वायरस की वजह से मौत भी हो चुकी है। जिसमें हर उम्र के लोग है लेकिन इस बीच एक सवाल भी उठा है कि कोरोना वायरस से सिर्फ वयस्क ही प्रभावित हो रहे है। क्यों बच्चों कोरोना वायरस की चपेट में कम आ रहे है? क्यों कोरोना वायरस बच्चों को अपनी चपेट में नहीं ले पा रहा? जिसका जवाब अब वैज्ञानिकों ने तलाश कर लिया है। खुलासा हुआ है कि बच्चों के शरीर में ऐसा इम्युन सिस्टम होता है जो कोरोना वायरस को शुरुआत में ही मार देता है।

बच्चों पर हुई स्टडी
न्यूयॉर्क टाइम में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों में एक ऐसा इम्यून सिस्टम होता है। जो रोगाणुओं को जड़ से मार देते है। बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए यहीं इम्यून सिस्टम काम करता है। जब तक कोरोना का वायरस बच्चों को प्रभावित करना शुरू करता है। उससे पहले ही इम्यून सिस्टम का यह खास ब्रांच कोरोना को मार देता है। डॉ. बेत्सी हीरोल्ड कहती हैं, ‘हां, बच्चों का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस को लेकर अलग तरह से बर्ताव करता है। इम्यूम सिस्टम बच्चों को सुरक्षा देता है। दूसरी तरफ वयस्कों के साथ ऐसा नहीं हैं।’

बच्चों में होता है खास इम्यून सिस्टम
इस स्टडी में बताया गया है कि, बच्चों के संपर्क में जैसे ही कोरोना वायरस आता है तो बच्चों का इम्यून सिस्टम का एक हिस्सा कुछ ही घंटों में प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। जिसे ‘इम्यून रेस्पॉन्स’ कहते है। यह शरीर को सुरक्षा देता है और वायरस से तुरंत लड़ता है। इतना ही नहीं, इम्युन सिस्टम बैकअप के लिए सिग्नल भेजने लगता है। दरअसल बच्चों का शरीर जब भी नए रोगाणुओं को संपर्क में आता है तो उनका इन्यून सिस्टम तुरंत ही रिएक्ट करता है। ऐसे में रोगाणु से लड़ा जाता है और शरीर को तुरंत सुरक्षा दी जाती है।

वयस्क लोगों पर भी हुई इम्यूनिटी
हालांकि, इस रिसर्च में बच्चों के अलावा बढ़ों पर भी स्टडी की गई। ताकि इसका कारण पता चल सके। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में 60 व्यस्क और 65 बच्चे और 24 साल से कम उम्र के लोगों को जोड़ा गया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चों के खून में इम्यून मॉलेक्यूल्स interleukin 17A और interferon gamma का स्तर काफी अधिक रहता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो मॉलेक्यूल्स उम्र बढ़ने के साथ लोगों में घटते दिखाई दिए।

ज्यादा एंटीबॉडी भी खतरा
हालांकि बच्चों पर ऐसी कई बार थ्योरी हुई है। जिसमें भी बताया गया है कि बच्चों के शरीर में ऐसी एंटी बॉडी रेस्पॉन्स होती है जो वायरस से तुरंत लड़ती है और बच्चों को सुरक्षा देती है। लेकिन इस स्टडी में पता चला है कि उम्रदराज और काफी अधिक बीमार व्यक्ति के शरीर में ही सबसे अधिक एंटीबॉडी तैयार होती है न कि बच्चे। स्टडी में रिसर्चर्स की चिंता बढ़ भी सकती है कि क्योंकि यह मासूम पड़ता है कि अधिक एंटीबॉडीज कोरोना से अधिक लड़ने के बजाय, अधिक बीमार होने का सबूत हो सकता है।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ जेन सी बर्न्स का इस स्टडी पर कहना है कि एंटीबॉडी को लेकर अब तक हर कोई खुश होता आया है और मानता है कि वह कोरोना से लड़ सकता है लेकिन क्या ये संभव है कि असल में कुछ एंटीबॉडी की शरीर में ज्यादा संख्या होती है तो वह शरीर के लिए काफी बुरा होता है? इसके साथ ही ये भी पता लगाना होगा कि शरीर में शुरुआती इम्यून रिएक्शन के बाद आगे क्या बदलाव होता है।

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