माता रानी बहुत जल्द आने वाली हैं आपके द्वार, जानिए शारदीय नवरात्रि का शुभ-मुहूर्त

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इस बार शारदीय नवरात्रि हर बार की तरह श्राद्ध के तुरंत बाद नहीं पड़ रहा है, बल्कि श्राद्ध के 25 दिन बाद पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि इस बार श्राद्ध के तुरंत बाद मलमास जिसे की खरमास भी कहा जाता है पड़ रहा है। लीप इयर होने के कारण ऐसा हो रहा है। 165 साल बाद ऐसा हो रहा है जब लीप इयर और खरमास एक साथ पड़ रहे हैं। श्राद्ध के बाद खरमास पड़ने से इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगा।

navratriपंचाग में अनुसार नवरात्रि के दिनों में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं, जिसमे प्रतिपदा तिथि को मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें और अंतिम दिन सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा की जाती है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रख कर मां की आराधना करते हैं।navratriज्योतिष के मुताबिक अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी की 17 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही हैं। इस दिन सुबह छह बजे से 10 :13 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। हालंकि कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक भी रहेगा।navratriवैसे तो साल भर में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है लेकिन आम इंसान सिर्फ दो बार यानी की चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाता है और मां दुर्गा की आराधना करता है। जबकि साल में दो बार पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि में तंत्र मंत्र विद्या को मानने वाले लोग तांत्रिक ढंग से मां की आराधना करते हैं।

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