झुग्गियों को हटाने के फैसले से पीछे हटी केंद्र सरकार, समाधान निकालने पर चल रही है बात

 

नई दिल्ली। कभी—कभी छोटी लापरवाही बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। इसी तरह की लापरवाही के बीच केंद्र सरकार फंसती नजर आ रही है। रेलवे की गलती की सजा जहां पटरी के किनारे बसे झुग्गीवालों को भुगतनी पड़ सकती है वहीं केंद्र सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। रेलवे ने अगर शुरू में ध्यान दिया होता और अपनी जमीन पर कब्जा करने से रोका होता तो आज यह नौबत न आती। दिल्ली में रेलवे के करीब 140 किमी के दायरे में बसी 48 हजार के लगभग झुग्गियों का हटाने पर रोक लग गई है। बता दें कि रेलवे की तरफ से झुग्गियों को हटाने की नोटिस के बाद दिल्ली में सियासी बवाल मच गया है। आज सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी किसी भी झुग्गी को खाली नहीं कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए चर्चा कर रहा है। जल्द ही इसका कोई न कोई समाधान निकाल लिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। ज्ञात हो कि रेलवे के इस फैसले का आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने विरोध किया था। रेलवे की तरफ से नोटिस चिपकाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि बिना मकान उपलब्ध कराए किसी के आशियाने को उजाड़ना असंवैधानिक है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऐसा नहीं होने देगी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार को केजरीवाल सरकार की ओर से जो पत्र भेजा गया है उसके साथ 45,857 पक्के मकानों की सूची संलग्न की गई थी। इसमें यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार अगर पक्का मकान नहीं दे सकती, तो दिल्ली सरकार सभी झुग्गी वालों को मकान देगी। इस पत्र में सियासी रंग डालते हुए कहा था कि रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था की अवैध झुग्गियों को तोड़ने में आम आदमी पार्टी के विधायक अवरोध पैदा करते रहते हैं। यह बात हमारी पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार तब तक झुग्गियां नहीं टूटने देगी जब तक उनमें रहने वालों को पक्का मकान नहीं दे दिया जाता।

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