खुलासा: राजीव गांधी की वजह से प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे प्रणब दा, जानें क्या थी वजह


पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 वर्षीय की आयु में सोमवार 31 अगस्त को इलाज के दौरान निधन हो गया। मुखर्जी बीते कई दिनों से सेना के अस्‍पताल में भर्ती थे, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। प्रणव दा सेना अस्पताल में मस्तिष्क की सर्जरी कराने पंहुचे थे, जहां चेकअप के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने की भी पुष्टि की थी। उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन क्लॉट सर्जरी के बाद से ही पूर्व राष्ट्रपति प्रणव दा वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। प्रणव दा 2012 से 2017 तक देश के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। प्रणब मुखर्जी को राजनीतिक गलियारों में ‘प्रणब दा’ या ‘दादा’ के नाम से भी पुकारा जाता रहा है। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार प्रणब दा नेहरू-गांधी परिवार के सबसे करीबी लोगों में शामिल थे। हालांकि, 1990 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने प्रणब दा को प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था।

यह दावा कांग्रेस के दिवंगत नेता और गांधी परिवार के सबसे नज़दीकी नेताओं में शामिल रहे एम एल फोतेदार ने अपनी किताब ‘द चिनार लीव्ज’ में किया है। उन्होंने अपनी किताब में इस वाकया से जुड़ी घटना के बारे में जिक्र करते हुए लिखा है कि 1990 में वी.पी. सिंह की  सरकार गिरने के बाद उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण चाहते थे कि सरकार कांग्रेस की बने और उसका नेतृत्व प्रणब मुखर्जी करें लेकिन राजीव गांधी राष्ट्रपति की इस राय के पूरी तरह से खिलाफ थे। इसके आगे एम एल फोतेदार ने लिखा है कि वी पी सिंह के इस्तीफ़े के बाद राजनीतिक रायशुमारी के लिए उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि अगली सरकार के लिए राजीव गांधी को प्रणब मुखर्जी का समर्थन करना चाहिए।

फोतेदार अपनी किताब में आगे लिखते हैं, “मैंने राष्ट्रपति से निवेदन किया कि वह अगली सरकार के गठन के लिए राजीव गांधी को निमंत्रण भेजे क्योंकि कांग्रेस लोकसभा का अकेला सबसे बड़ा दल है।” इस पर राष्ट्रपति ने यह कहा कि मुझे (फोतेदार) राजीव गाँधी को बताना चाहिए कि अगर वह प्रधानमंत्री पद के लिए प्रणब मुखर्जी का समर्थन करते हैं तो वह उसी शाम को उन्हें शपथ दिला देंगे। फोतेदार ने किताब में आगे लिखा है, “मैंने जब राष्ट्रपति वेंकटरमण की कही गई सारी बातें राजीव जी को बताई तो वे काफी आश्चर्यचकित हुए। चूँकि कांग्रेस पार्टी के पास ज्यादा विकल्प नहीं थे, इसलिए राजीव गांधी ने चंद्रशेखर को बाहर से समर्थन देने वाला विवादित फैसला लिया।” इस तरह प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए।

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