श्री अचलेश्वर महादेव…शिव का एक वो मंदिर…जहां सदियों से भर नहीं पाया छोटा सा कुंड

 


भारत को वैसे तो देवताओं की जन्मभूमि कहा जाता है। कहा जाता है यहां 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। तभी तो पूरे देश में भगवान शिव का एक नहीं बल्कि कई मंदिर मौजूद हैं। हर मंदिर की अपनी एक पहचान है। भगवान शिव के इन मंदिरों में शिवलिंग और उनकी मूर्ति की पूजा की जाती है। पर एक मंदिर ऐसा भी है जहां शिवजी की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा नहीं बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। ये मंदिर राजस्थान के माउंट आबू के अचलगढ़ में मौजूद है। मंदिर का नाम अचलेश्वर महादेव है। इस मंदिर को अर्द्ध काशी के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है यहां भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिरों का होना। वैसे इस जगह को भोलेनाथ की उपनगरी भी कहा जाता है।

अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से करीबन 11 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में अचलगढ़ की पहाड़ियों पर किले के पास मौजूद है।

भगवान शिव के अंगूठे से टिका है मंदिर
मंदिर को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि, यहां की पहाड़ी भगवान शिव के अंगूठे के कारण टिका है। जिस दिन अंगूठा गायब हो जाएगा। उस दिन से इस पहाड़ी का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। इतना ही नहीं यहां एक प्राकृतिक कुंड भी बना है।इसकी ये खासियत है कि, इसमें कितना भी पानी भरा जाए ये कभी भरता नहीं है। आज तक कोई भी इस रहस्य को नहीं जान पाया कि, आखिर ये पानी कहां जाता है।

भगवान शिव के इस मंदिर परिसर के चौक में चंपा का काफी बड़ा पेड़ भी है। बाईं ओर दो कलात्मक खंभों पर धर्मकांटा बना है। इसे लेकर ऐसी मान्यता है कि, इस क्षेत्र के शासक राजसिंहासन पर बैठके वक्त भोलेनाथ से आर्शीवाद लेकर न्याय की शपथ लेते थे। 

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