..तो अब क्या खुद की हार मान बैठा है ड्रैगन? अगर नहीं तो फिर क्यों हुआ इस बात के लिए राजी



भारत और चीन (india china and tension) के बीच अनवरत जारी यह तनाव की स्थिति अपनी पराकाष्ठा पर न पहुंचे इसके लिए लगातार वार्ता का सिलसिला जारी है। इस दौरान दोनों ही देशों की तरफ से हर उस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, जिससे की इस तनाव को कम किया जाए। इस दिशा में किए गए प्रयासों के नतीजे भी अब खुलकर सामने आ रहे हैं, लेकिन ड्रैगन का दोहरा चरित्र भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। एक तरफ सीमा पर घुसपैठ की कोशिश तो वहीं दूसरी तरफ वार्ता का ढोंग..अब  ऐसे में यह समय की दरकार है कि भारत पहले से अधिक सतर्क हो जाए। इस दिशा में लगातार उसकी कोशिश जारी है।
इस बीच अब भारत के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। कल यानी की मंगलवार को दोनों ही देशों के आलाधिकारियों के बीच तकरीबन 14 घंटे की वार्ता हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया है कि अब दोनों ही देश सीमा पर अपनी सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ाएंगे, जो सैनिक वर्तमान में तैनात हैं, वे यथावत वहां पर मुस्तैद रहेंगे। बता दें कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब अनवरत चीन अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था। उधर, भारत ने भी लगातार अपने सैन्य दलों के साथ तमाम हथियार भी तैनात करने शुरू कर दिए थे।

वार्ता के मुकम्मल होने के बाद जारी हुई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर  खुल कर बात हुई थी। दोनों देशों ने इस बात पर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि अब दोनों ही देश सीमा पर  सैनिकों की संख्या को नहीं बढ़ाएंगे। मगर इस वार्ता के बावजूद भी भारतीय सेना अब पहले से ज्यादा सतर्क हो चुकी है, चूंकि इससे पहले चीन का दोहरा रूख परिलक्षित होता हुआ दिखा है, लेकिन चीन ने वार्ता में स्पष्ट कर दिया है कि वह अब सीमा पर सैनिकों की संख्या का इजाफा नहीं करेगा।

रणनीतिक मात खाता दिखा है चीन 
उल्लेखनीय है कि चीन उस समय अपने ही बुने जाल में तब फंस गया, जब गत 29 और 30 अगस्त को घुसपैठ के इरादे से चीनी सैनिक आए थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उनकी इस नापाक कोशिश को नाकाम कर दिया। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने लद्दाख के कई पहाड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया, जो युद्ध व रणनीतिक लिहाज से भारतीय सैनिकों के लिए बेहद हितकारी हैं। भारत के इस कदम से चीन बौखलाया हुआ दिखा है, जिसके परिणामस्वरूप अब वह सीमा पर सैनिकों को नहीं बुलाने की बात पर सहमत हुआ है।

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