जब महाराजा जयसिंह ने रोल्स रॉयस कंपनी से लिया अपने अपमान का बदला

एक समय ऐसा था जब भारत को लोग सोने की चिड़िया कहा करते थे। भारत के राजा-महाराजा के पास बेइंतहा धन-दौलत और बड़े-बड़े शौक हुआ करते थे। उन्हीं में से थे अलवर के महाराजा जयसिंह। महाराजा जयसिंह को बड़ी-बड़ी महंगी-महंगी गाड़ियों का बेहद शौक था। लेकिन एक दिन उनके इसी शौक ने उन्हें काफी अपमानित किया था, जिसका उन्होंने मुंहतोड़ बदला भी लिया था।

दरअसल, एक बार महाराजा जयसिंह लंदन घूमने गये हुए थे। लंदन में महाराजा के लिबास से हटकर सादसी से घूमने-फिरने का आनंद उठा रहे थे। एक दिन लंदन की ब्रांड स्ट्रीट पर सैर करते हुए उनकी नजर पास के ही रोल्स रॉयस शोरूम पर पड़ी। इस शोरूम की कारें उन्हें काफी अच्छी लगी। कार की कीमत जानने के लिए वह शोरूम में चले गये। शोरूम में मौजूद सेल्समैन को जब पता चला कि वह एक भारतीय हैं, तो उन्होंने जयसिंह को एक आम भारतीय मानकर बुरी तरह बेइज्जत किया और शोरूम से बाहर निकाल दिया।
अपने साथ हुए इस अपमान को जयसिंह बर्दाश्त नहीं कर पाये। उन्होंने इसका बदला लेने का निर्णय लिया।
होटल पहुंचने के बाद जयसिंह ने अपने नौकर को कहा कि वह शोरूम के मालिक को फोन करके कहे कि अलवर के राजा उन्हीं कार खरीदना चाहता हैं।
इस बार वह पूरे राजशी ठाठ-बाट में शोरूम पहुंचे और इस बार उनका शोरूम में भव्य स्वागत हुआ। उनके स्वागत के लिए शोरूम में रेड कार्पेट बिछा और सभी सेल्समैन सिर झुकाकर उनका अभिवादन करने लगे। माना जाता है कि उन्होंने यहां से 6 कारें खरीदी।
वहीं, भारत जाकर उन्होंने ये कारे नगरपालिका विभाग को दे दी और कहा कि इन कारों का इस्तेमाल शहर की गंदगी दूर करने और कचरा उठाने के लिए किया जाएगा।
फिर क्या विदेशी अखबार की नम्बर 1 हेडलाइन बन गई कि भारत में ‘रोल्स रॉयस’ का इस्तेमाल कचरा ढोने के लिए किया जा रहा है।
इसके बाद कार कंपनी की इज्जत खाक में मिलने में समय नहीं लगा। जिस भी अमेरिकन और यूरोपियन शख्स के पास ये कार होती, तो लोग उन्हें ये सवाल जरूर करते कि तुम्हारे पास वही कार है न जिसका इस्तेमाल भारत में कचरा उठाने के लिए किया जाता है।
इज्जत डूबती देख कंपनी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने जयसिंह को टेलीग्राम के जरिए माफीनामा भेजा। जब जयसिंह को लगा कि उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है, तब उन्होंने कारों से कचरा उठवाना बंद कर दिया।
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