अलर्ट: आज रात से बंद हो जाएगी क्रेडिट और डेबिट कार्ड की ये बड़ी सर्विस, ग्राहकों को लगेगा झटका

 


कोरोना वायरस की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में कई बदलाव किए है। सरकार ने महामारी के वजह से हो रह परेशानियों से आम जनता को निकलाने के लिए कई स्कीम का ऐलान किया। जिसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिला। इसी तरह बैकिंग सेक्टर में भी कई बदलाव किए गए। बैकिंग सेक्टर में कोरोना काल में लोगों को कई तरह की छूट दी गई। जिस अब धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है। दरअसल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ग्राहकों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर कई तरह की सुविधाएं दी थी। जिसे बैंक ने बंद करने की तैयारी कर ली है और अब बैंक की तरफ से ग्राहकों को इसकी जानकारी दी गई है।

दरअसल एसबीआई समेत तमाम बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन से जुड़ी सेवाओं को बंद करने का फैसला लिया है। बैंक ने ग्राहकों को बताया कि अगर ग्राहक अपने कार्ड से इंटरनेशनल मार्केट में खरीदारी की सुविधा जारी रखना चाहते है तो उन्हें INTL के बाद अपने कार्ड संख्या की आखिरी 4 डिजिट लिखकर 5676791 पर SMS करना होगा। ऐसा करने वालों को ही इंटरनेशनल मार्केट में खऱीदारी की सुविधा दी जाएगी। आरबीआई ने इस नियम को लागू करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक, ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय, ऑनलाइन और कॉन्टैक्टलेस कार्ड से लेनदेन के लिए अलग से प्राथमिकता बतानी होगी। साफ है कि अगर जरूरत नहीं है तो एटीएम मशीन से पैसे निकालते और पीओएस टर्मिनल पर शॉपिंग के लिए विदेशी ट्रांजेक्शन की अनुमति नहीं दी जाए। और अगर जरूरत है तो ग्राहक को इसके लिए अप्लाई करना होगा।

विदेशों में पैसा भेजना भी होगा महंगा
1 अक्टूबर से विदेश में पैसे भेजने मंहगा हो जाएगा। सरकार ने देश से बाहर पैसा भेजने पर लोगों से कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) वसूलने की तैयारी की है। दरअसल इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 206C (1G) के तहत TCS का दायरा बढ़ाते हुए इसे लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) पर भी लागू करने का फैसला किया है। जिसके तहत अगर आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए विदेश पैसे भेजते हो या फिर अपने रिश्तेदारों की आर्थिक मदद के लिए पैसे भेजते है तो आपको 5 फीसदी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) का अतिरिक्ट भुगतान करना होगा। ऐसे में अब 7 लाख रुपये या इससे ज्यादा के रेमिटेंस पर टीसीएस देना होगा। आपको बता दे कि एलआरएस के तहत 2.5 लाख डॉलर सालाना तक भेज सकते है।

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