बिल्कुल नहीं, एक तरफा मोहब्बत में ‘डिप्रेशन’ के अलावा आपको कुछ नहीं मिलने वाला

 “एक तरफा प्यार की ताकत ही कुछ और होती है, औरों के रिश्तों की तरह ये दो लोगों में नहीं बंटती, सिर्फ मेरा हक है इस पर”

ऐ दिल है मुश्किल फिल्म का यह सबसे फेमस डायलॉग है। इस डायलॉग के बाद कुछ आशिक अपने आप को शाहरुख खान तो कुछ रणबीर कपूर समझने लगे थे। लेकिन, असल जिंदगी में यह डायलॉग फिल्मों तक सीमित रहे, तो ही अच्छा है... क्योंकि असल जिंदगी में इस डायलॉग की कोई अहमियत नहीं। फिल्मों में एकतरफा प्यार को ताकत के रूप में दिखाना बिल्कुल वैसा ही फिल्मी झूठ है, जैसा प्यार में धोखा खाएं हीरो को कुछ सालों बाद करोड़पति बिजनेसमैन बनाकर दिखाया जाता है।
एकतरफा मोहब्बत, असल जिंदगी में आपको केवल मायूसी, दर्द और डिप्रेशन ही देता है... क्योंकि असल जिंदगी बॉलीवुड से काफी अलग होती है, क्योंकि असल जिंदगी में फिल्मों की तरह लड़कियां खुद को स्टॉक करने वाले लड़कों को दिल नहीं देती। ऐसे में उनकी लव स्टोरी फ्रेंड जोन होकर ही खत्म हो जाती है।
आइए जानते हैं, एकतरफा मोहब्बत आपको असल जिंदगी में क्या कुछ दे जाती है-
मायूसी-
जब आप अपने एक तरफा प्यार का इजहार करते हो और सामने से इनकार सुनने को मिलता है, तो रिजेक्शन की मायूसी आपको निराश कर देती है। रिजेक्ट होने के बाद आप अपने आप को ही हीन भावना से देखने लगते है, खुद में कमिया निकालने लगते है कि मुझमें ये कमी रह गई थी... इस वजह से उसने मुझे मना कर दिया।
दर्द-
दिल टूटने के बाद जो दर्द होता है, उसके आगे हर दर्द कम ही लगता है... यह दिल टूटे आशिक से अच्छा कौन जान सकता है, खासकर वो आशिक जिसका दिल कभी जुड़ा ही नहीं था। यकीन मानिए, यह दर्द ब्रेकअप के दर्द से भी कई ज्यादा होता है, क्योंकि ब्रेकअप के कसूरवार दोनों ही लोग होते है... कभी एक हाथ से ताली नहीं बजती। लेकिन जब आपका प्यार एक तरफा होता है, तो आप बिना कसूर के ही अपने प्यार से हाथ धो बैठते है। जिनके साथ आप कल तक अपने सुनहरे भविष्य के सपने देख रहे थे, आज वो आपकी जिंदगी से दूर चले गए हैं। यकीन मानिए, यह दर्द आपको अंदर से तोड़ देता है।
डिप्रेशन-
मायूसी, निराशा और दर्द का बोझ आप पर कुछ ऐसा पड़ता है कि आप धीरे-धीरे सब से कटने लगते है। न आपको दोस्तों से बात करना अच्छा, लगता न बाहर जाने जा मन करता... आप बस अपने आप में ही सिमेट कर रह जाते हैं, कई केस में देखा गया है कि लोग डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं और आगे चलकर यह डिप्रेशन गुस्से और बदले की भावना में बदल जाता है। एसिड अटैक जैसे जानलेवा हमले इसी भावना के चलते होते हैं।
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