चीन की भारत को धमकी, अगर गलती की तो सीमा पर भुगतने होंगे घातक परिणाम

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पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लद्दाख से हर रोज कोई न कोई खबर आ रही है। इस बीच चीन ने भारत पर सीमा का उल्लंघन करते हुए फायरिंग का आरोप लगाया है, लेकिन भारतीय सेना ने चीन के इस आरोप को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। भारतीय सेना ने साफ कहा है कि सेना ने एलएसी पार नहीं की, न ही किसी तरह की आक्रामकता का इस्तेमाल किया और न ही  फायरिंग की। चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स लगातार अपनी सरकार के पक्ष में प्रोपोगैडा फैला रहा है। चीनी सरकारी अख़बार ने पीएलए के वेस्टर्न कमांड के प्रवक्ता के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है, जिसमें उसने लिखा है-‘ भारतीय सेना ने सोमवार को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर शेनपाओ के पहाड़ी इलाके में एलएसी को अवैध तरीके से पार किया और उस इलाके  में गश्त कर रहे चीनी सैनिकों के सामने हवाई फायरिंग की।

अख़बार ने लिखा चीनी सैनिकों की इस दौरान खुद को बचाने के लिए काउंटर फायरिंग करनी पड़ी। इसी कड़ी में ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को भी ‘अगर भारत सरहद पर गलती करता है तो इतिहास दोहराया जायेगा।’ नाम के शीर्षक से एक आर्टिकल छापा है। अखबार फर्जी दावा करता है कि  भारत ने सीमा पर हथियार न इस्तेमाल करने के समझौते का उल्लंघन किया है।  अखबार लिखता है कि-‘भारतीय सेना को लगता है कि हथियारों का इस्तेमाल करके वह सीमा पर खुद को मजबूत साबित कर सकता है तो यह उसकी गलतफहमी है। चीनी मीडिया ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि भारत सरकार ने अपनी सेना को सीमा पर खुली छूट दे दी है।’

1962 का बदला लेना चाहता है भारत 

उसने लिखा है-‘लद्दाख में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत सरकार ने अपनी आर्मी को एलएसी को खुली छूट दे दी है। इसका साफ मतलब है कि वह हथियारों के का इस्तेमाल न करने को लेकर प्रतिबद्ध नहीं हैं दोनों देशों के बीच सीमा पर इस तनाव पूर्ण हालात में भारत का यह कदम गैर जिम्मेदाराना है। लेख में साफ़ लिखा गया है कि -‘अगर भारतीय सेना सीमा पर बंदूकों का इस्तेमाल करती है तो चीनी सेना भी सीमा पर बन्दूकों के इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हो जाएगी।  अख़बार ने लिखा है-भारतीय सेना हमेशा से 1962 में हुए भारत चीन युद्ध में भारत की हार का बदला लेना चाहता था। यहीं वजह है कि भारत ने अपनी ताकत को बढाया है और अमेरिका व रूस से अत्याधुनिक हथियार की खरीदारी में लगा है, लेकिन समस्या ये है कि भारतीय सैनिकों के पास सुनियोजित और संयुक्त मोर्चे से हमले की क्षमता नहीं है जो कि एक असली कॉम्बैट में बड़ी रुकावट है।

गुट-निरपेक्ष नीति को तोड़ने के प्रयास में अमेरिका 

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक अमेरिका भारत का समर्थक देश है और अगर भारत और चीन में युद्ध होता है तो अमेरिका भारत को अपनी तरफ मिलाने की पूरी  कोशिश करेगा।  वह भारत को अपनी गुट-निरपेक्ष की पुरानी नीति को तोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।  अख़बार के मुताबिक भारत को अमेरिका का सपोर्ट मिलने में बावजूद चीनी सेना भारत को हराने में सक्षम है। आज अगर  भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो चीन वैसे ही जीत हासिल करेगा जैसे 1962 में की थी। भारत को अमेरिका के समर्थन के बावजूद, पीएलए भारतीय सेना को हराने में सक्षम है। चीन ने 1962 के युद्ध में जीत हासिल की थी और भारत को इससे सबक लेना चाहिए। इसके अलावा, पीएलए की सैन्य क्षमता अब दशकों पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा मजबूत है।

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