ब्लेड प्रेशर की दवा से हो सकता है कैंसर, जान लें यह सच्चाई

 

अंग्रेजी दवाओं के कई साइड इफेक्ट होते हैं। कई जानकारों का मानना है कि कुछ दवाएं ऐसी है जो शरीर के मर्ज को तो ठीक करती हैं तो दूसरी बीमारियों को भी जन्म देती हैं। ऐसे में कई दवाओं को लेकर अफवाहें भी काफी चल रही हैं। रक्तदचाप (ब्लेड प्रेशर) कम करने वाली दवाएं कैंसर के खतरे को जन्म देती हैं, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। यह बात इस विषय पर किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आई है। ईएससी कांग्रेस 2020 में यह शोध पेश किया गया है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सकफोर्ड की ऐपिडेमीलॉजिस्टए और अध्यगयनकर्ता एम्मान कोपलैंड ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे परिणाम कैंसर के संबंध में एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग्स की सुरक्षा को लेकर जनता को विश्वास दिलाने वाले हैं।

गौरतलब है कि रक्तचाप की दवाओं और कैंसर के बीच एक संभावित कड़ी को लेकर गत 40 वर्षों से बहस छिड़ी हुई है। माना जाता रहा है कि ब्लेड प्रेशर की दवाएं कैंसर के लिए जिम्मेकदार हैं। जबकि एंटीहाइपरटेन्सिव दवाओं के उपयोग से कैंसर के बढ़ने या कम होने के प्रमाण आधारहीन हैं। इस अध्य्यन में एंटीहाइपरटेन्सिव दवा की जांच करने के लिए सबसे अधिक प्रतिभागियों के रेंडम ट्रायल किए गए। इस लिहाज से इस पर किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन रहा। इस अध्ययन में 2.6 लाख लोग शामिल हुए। इसके बाद सभी परीक्षणों के जांचकर्ताओं से जानकारी हासिल की गई कि किन प्रतिभागियों में कैंसर देखा गया।

जानकारी के मुताबिक इस अध्यपयन में पांच एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग क्लासेस की अलग से जांच की गई, जिनमें एंजियोटेनसिन-कनवर्टिंग एंजाइम (एसीई) इनहिबिटर, एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (एआरबी), बीटा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (सीसीबी) को शामिल किया गया था। जांचकर्ताओं ने इनमें से दवा लेने वालों में किसी भी तरह के कैंसर के विकसित होने या जोखिम होने को लेकर कड़ी निगरानी की। करीब चार वर्षों के दौरान 15 हजार कैंसर डायग्नो स हुए लेकिन इनमें कोई ऐसा सबूत नहीं मिला कि किसी भी एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग क्लास के इस्तेमाल से प्रतिभागियों में कैंसर का खतरा दिखा हो।

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