50 हजार सैनिक..H-6 बॉम्बर..बोफोर्स हथियार..सब कुछ है तैयार..अब तो ड्रैगन को..


भारत और चीन के बीच रिश्ते अत्याधिक न बिगड़े इसके लिए भारत सरकार अनवरत प्रयासरत है। मगर बावजूद इसके चीन एक तरफ जहां समस्त विश्व के समक्ष भारत के साथ वार्ता की पेशकश कर अपने आपको निर्दोष साबित करने पर अड़ा है तो वहीं दूसरी तरफ अनवरत सीमा पर घुसपैठ और अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ाने में ड्रैगन मशगूल है। एक तरफ जहां ड्रैगन भारत के साथ वार्ता का नाटक कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सीमा पर अपने जवानों की तैनाती बढ़ा रहा है। ड्रैगन अब तक 50 हजार सैनिकों को तैनात कर चुका है, जो ऊंची पहाड़ियों का सहारा लेकर भारतीय सैनिकों की हर एक गतिविधि पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। 

उधऱ, ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत भी अपनी तरफ से पूरी तैयारी पुख्ता कर लेना चाहता है। इसके लिए अब तक सीमा पर 40 हजार भारतीय जवानोंं की तैनाती मुकम्मल हो चुकी है। वहीं, भारी संख्या में जवानों की तैनाती साथ-साथ कई घातक हथियारों की भी तैनाती की जा रही है। करगिल युद्ध में अपने करतबों से दुश्मनों को धूल चटाने वाले बोफोर्स को भी सीमा पर तैनात किया जा चुका है। भारतीय वायुसेना भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मुस्तैद है। 155 मिमी की होवित्जर तोप भी तैनात करनी शुरू कर दी गई है।

फिंगर 4 पर भी मुस्तैद भारतीय सेना
इन सभी स्थितियों को भांपते हुए फिंगर-4 पर भारतीय वायुसेना भी मुस्तैद हो चुकी है। वहीं, अगर सामरिक स्थिति की बात करे तो ऊंची पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों का दबदबा कायम है। चीन को हर मौके पर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत की तरफ से सारी तैयारियां मुकम्मल हो चुकी है। पिछले दिनों ही भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति को मजबूत करने का काम किया था। भारत चाहता है कि वो चीन के मुकाबले सामरिक रूप से खुद को सबल बना ले, ताकि उसे हर मौके पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।

विदेशी मंत्रियों के बीच हुई बात
यहां पर हम आपको बताते चले कि ऐसी स्थिति में जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव अपने चरम पर है तो गत दिनों भारत और चीन के विदेश मंंत्रियों के बीच हुई बातचीत के क्रम में कई मसलों को लेकर वार्ता हुई। दोनों समकक्षों के बीच यह वार्ता तकरीबन 2 घंटे तक चली। दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बॉर्डर की स्थिति को लेकर भी वार्ता हुई।  जिसमें भारत ने बेहद बेबाकी से कहा कि चीन लगातार अंतरराष्ट्रीय संधियों की धज्जियां उड़ाने में मशगूल है। दोनों ही देशों के विदेश मंत्रियों ने इस मसले को सुलझाने के लिए वार्ता का सहारा लेने मन बनाया है। मगर मौजूदा दौर में अगर में चीन के रूख पर गौर फरमाएं तो वो अपने उक्त कथन की तस्दीक करता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

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