दिल्ली समेत इन 5 राज्यों में फूटा कोरोना बम, 62% मरीजों को साथ मौतों में भी रिकॉर्ड इजाफा

 

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कोरोना वायरस ने देश में कोहराम मचा दिया है। इन दिनों रोजाना वायरस की चपेट में हजारों लोग आ रहे है। खतरें के बात ये है कि देश में संक्रमित मरीजों की संख्या रोज रिकॉर्ड तोड़ रही है। जिस वजह से सरकार से लेकर आम लोग चिंता में है। गुरुवार को देश में 83883 संक्रमित मरीज सामने आए। जो अब तक का सबसे बड़ा ऊछाल है लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उन राज्यों के बारे में बताया गया। जहां पर कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा है। इस लिस्ट में पांच राज्यों के नाम बताए गए है। जिसमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यूपी और तमिलनाडु है। इन पांच राज्यों में कोरोना बेकाबू हो गया है।

दरअसल गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना के कुल एक्टिव केसों का करीब 62 फीसदी हिस्सा सिर्फ पांच राज्यों में है और उन पांच राज्यों के कुल एक्टिव केसों के 25 प्रतिशत मामले सिर्फ महाराष्ट्र के हैं। कोरोना की वजह से हुई कुल मौतों से में 37 प्रतिशत मौतें महाराष्ट्र में हुई है। ये पांच राज्य क्रमश: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यूपी और तमिलनाडु हैं। इन पांच राज्यों में कोरोना से हुई कुल मौतों का 70 फीसदी हिस्सा रिकॉर्ड किया गया है। महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है। यहां पर कुल एक्टिव केस 12 फीसदी है।

स्वास्थ्य सचिव राजीव भूषण ने बताया कि कर्नाटक और दिल्ली में भी कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे है। कर्नाटक में 9.5 फीसदी कोरोना के केस बढ़ गए है और दिल्ली में 50 फीसदी कोरोना मरीजों में वृद्धि हुई है लेकिन कोरोना के बीच सरकार ने आर्थिक गतिविधियों को खोलने के लिए एक वर्गीकृत दृष्टिकोण अपनाया है। अब केंद्र फिर से दिल्ली पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। केंद्र प्रतिबंधात्मक कदम उठाने के लिए एलजी के संपर्क में है। इसके आगे राजीव भूषण ने बताया कि देश में अब तक 4.50 करोड़ कोरोना टेस्ट हो चुके है। देश में 8.15 एक्टिव केस है लेकिन अच्छी खबर ये है कि 29.70 लाख लोग पूरी तरह ठीक हो गए है।

वहीं आखिर में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निजी वाहन चालने वालों को भी मास्क लगाने की सलाह दी गई। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अगर निजी वाहन चला रहे है तो मास्क आवश्यक लगाए। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश दिए गए है। जिसका सख्ती से पालन करें।

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