त्योहारों से पहले सर्राफा बाजारों में गिरा सोना, चांदी का हाल बेहाल, फटाफट जानें 30 सितंबर के दाम

 

सर्राफा बाजारों में सोने चांदी का खेल बड़ा पुराना है। इस खेल में कभी सोना आगे रहता है तो कभी चांदी बाजी मार जाता है। खैर..यह सिलसिला तो जारी ही रहेगा, लेकिन आज यानी की 30 सितंबर 2020 को सर्राफा बाजारों में सोने चांदी के खेल का सुरत-ए-हाल कैसा रहा है..तो चलिए इसे जानने की कोशिश करते हैं। आज सर्राफा बाजारों में सोना 6000 रूपए सस्ता हुआ है। एमसीएक्स (MCX) पर दिसंबर का सोना वायदा 0.5 फीसद से गिरकर 50,386 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। हालांकि पिछले कुछ दिनों से सोने के भाव में तेजी का सिलसिला जारी था, लेकिन अब इसमें फिर से गिरावट का सिलसिला शुरू हो चला है।

ऐसा रहा चांदी का हाल 
उधर, अगर चांदी की बात करें तो चांदी 1,900 रुपये प्रति किलोग्राम सस्ता हो गया। सुबह आधे घंटे के कारोबार  में इसने 50450 रुपये का न्यूनतम और 50559 रूपए का उच्चतम स्तर स्पर्श कर लिया है। बता दें कि गत सात अगस्त को 56,200 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद सोने की कीमत में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी था। वहीं, अगर इस हफ्ते की बात करें तो 49,500 रूपए के नीचे चले गए थे।

अंतरराष्ट्रीय बाजार का सुरत-ए-हाल 
इसके साथ ही अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सर्राफा बाजारों के सुरत-ए-हाल की बात करें तो एक तरफ जहां सोने की कीमत में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, तो वहीं दूसरी तरफ हाजिर सोना 0.1 फीसदी की गिरावट के साथ 1,896.03 डॉलर प्रति औंस पर रहा। चांदी 0.2 फीसदी बढ़कर 24.22 डॉलर प्रति औंस हो गई है।

अब तक 68,00 रूपए सस्ता हुआ सोना 
उधर, अगर पिछले महीने से लेकर अब तक के सर्राफा बाजारों में सोने की कीमत की बात करें तो 7 अगस्त को सोने ने वायदा बाजार में अपना उच्चतम स्तर स्पर्श किया था। 10 ग्राम प्रति सोने की कीमत 56,200 पर पहुंच चुकी थी। शुक्रवार को सोना  49,380 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच चुका था। मतलब… साफ है कि तब से लेकर अब तक सोने की कीमत में 6,820 रूपए की गिरावट दर्ज की गई है।

मगर लोग नहीं हो रहे आकर्षित 
हालांकि, सर्राफा बाजारों में सोने की कीमत में गिरावट के बावजूद भी ग्राहक इसकी तरफ आकर्षित नहीं हो रहे हैं। सोना खरीदते समय लोगों को भारी बट्टा भी दिया जा रहा है, मगर बावजूद इसके लोग इसकी ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं। फिलहाल तो इसके पीछे की वजह क्या है? यह कहना तो मुश्किल है। कुछ विशेषज्ञ इसे ग्राहक के मिजाज के परिवर्तन की बात बता रहे हैं। अब आगे चलकर यह क्या रूख अख्तियार करते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। 

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