भारत-चीन : 3 दिन में 2 बार घुसपैठ की कोशिश, जानिये ब्लैक टॉप पर क्यों है ड्रैगन की नजर?

भारत-चीन : 3 दिन में 2 बार घुसपैठ की कोशिश, जानिये ब्लैक टॉप पर क्यों है ड्रैगन की नजर?

जम्मू-कश्मीर के पूर्वी लद्दाख स्थित चुशूल में भारत और चीन के सैनिक फिर से आमने-सामने हैं, चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3 दिन में दो बार घुसपैठ की नाकाम कोशिशों के बाद अब हालात बेहद तनावपूर्ण हो गये हैं, बिग्रेडियर कमांडर स्तर की बातचीत के बीत चीनी सैनिकों ने 29-30 अगस्त की रात फिर 31 अगस्त की रात को लद्दाख में दो बार घुसपैठ की हिमाकत की, हर बार उसे नाकामी हासिल हुई, इस बीच तीन का सबसे बड़ा फोकस ब्लैक टॉप है, भारतीय सेना ने यहां चीनी सैनिकों के जासूसी उपकरण उखाड़कर फेंक दिये हैं।

युद्धभूमि में बेजोड़
भारतीय सेना के स्पेशल कमांडोज ने दक्षिण पैंगोंग झील के पास ब्लैक टॉप की पहाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया है, वहीं चीनी सेना को जवाब देने के लिये पैंगांग झील के दक्षिण छोर पर ब्लैक टॉप के इलाके में भारतीय सेना ने टी-20 टैंक की रेजिमेंट एक्टिव कर दी है, जबकि चीन के पहाड़ों पर लड़ने वाले हल्के टैंक टी-15 को लद्दाख में खासतौर पर तैनात किया गया है, भारतीय सेना के पास जो टी-90 युद्ध टैंक है, वो युद्धभूमि में बेजोड़ है।

क्यों अहम है ब्लैक टॉप
ताजा विवाद जो हुआ है, वो पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में है, ये विवादित एरिया ब्लैक टॉप पहाड़ी के नजदीक है, जो चुशुल से 25 किमी पूरब में हैं, ब्लैक टॉप पर हालांकि चीन का नियंत्रण है, लेकिन यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ने चीन को परेशान कर दिया है, ब्लैक टॉप की ऊंचाई से करीब 100 मीटर नीचे चीनी टैंक साफ देखे जा सकते हैं, चीनी सेना ने इन्हें किसी भी परिस्थिति के लिये बिल्कुल तैयार रखा है, वहीं भारतीय सेना एंटी टैंक मिसाइल स्पाइक सिस्टम से लैस है, यानी इशारा मिलते ही टी-15 टैंक खाम में मिला दिये जाएंगे।

लांच पैड के रुप में किया जा सकता है चुशूल क्षेत्र का इस्तेमाल
चुशूल क्षेत्र एक ऐसा इलाका है, जिसका इस्तेमाल अटैक करने के लिये लांच पैड के रुप में किया जा सकता है, क्योंकि यहां काफी जगह समतल है, जो सैन्य गतिविधियों के लिये मुफीद मानी जाती है, साल 1962 के युद्ध के दौरान चीन के पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था, भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

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