चीनी मीडिया के जहरीले बोल, भारत के खिलाफ कहा ‘1962’ का इतिहास दोहराया जाएगा

दुनियाभर में कोरोना महामारी फैलाने वाला चीन पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख गिरा चुका है, और अब लद्दाख सीमा पर भारत के साथ दुश्मनी मोल ले रहा है। दरअसल चीन की लालची नजर भारत के सीमावर्ती इलाकों पर बनी हुई है। ड्रैगन बलपूर्वक सीमा क्षेत्र के इलाकों में कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन एक बात से चीन अनजान है, कि अगर एक इंच भी भारत की जमीन इधर से उधर हुई, तो इसका अंजाम क्या होगा यह सिर्फ वही जानता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ड्रैगन सब कुछ जानते हुए भी घुसपैठ को अंजाम दे रहा है। इस बीच चीनी मीडिया ने भी भारत के खिलाफ जहर उगलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव को लेकर लगातार चीनी मीडिया धड़ाधड़ आर्टिकल छाप रही है।

ताजा आर्टिकल में चीन की ग्लोबल मीडिया ने भारत के खिलाफ लिखा कि, भारतीय सेना ने सोमवार को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर शेनपाओ पहाड़ी इलाके में एलएसी अवैध तरीके से पार किया और उसके बाद गश्त कर रहे चीनी सैनिकों के सामने हवा में फायरिंग की। इतना ही नहीं चीनी सीमा पर गश्त कर रहे दल को इलाके में स्थिरता कायम करने के लिए मजबूरन काउंटर अटैक करना पड़ा। यहां इस बात को समझ लीजिए कि जो प्रोपेगैंडा चीनी मीडिया अपनी

सरकार के खिलाफ चला रही है, उससे एक बात तो साफ है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। यह हालात चीनी मीडिया की हो गई है। एक तो गलती करें ऊपर से हर्जाना भी न भरें। इतना काफी नहीं है अपने आर्टिकल में चीनी मीडिया ने खूब जहर उगला है। बताया जा रहा है कि यह अखबार पीएलए के वेस्टर्न कमांड के प्रवक्ता के हवाले से लिखा गया है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, अब भारतीय सेना ने वॉर्निंग शॉट फायर कर दिए हैं तो दोनों पक्षों में समस्या सुलझाने को लेकर आम सहमति बनने की उम्मीद पूरी तरह से खत्म हो गई है. और तो और चीनी मीडिया की तरफ से कहा गया है, अगर भारतीय सेना बंदूकों का इस्तेमाल करती है तो चीनी सेना भी ऐसा करने के लिए मजबूर हो जाएगी। मजबूर शब्द का इस्तेमाल तो ऐसे किया गया है कि चीनी सैनिक दूध पीते हुए बच्चे हैं, जो सीमा पर खेल रहे हैं। पूरी दुनिया के सामने ड्रैगन का असली चेहरा सामने आ रहा है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 1962 में भारत-चीन युद्ध में भारत को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. भारतीय सैनिक हमेशा से कथित बदला लेना चाहते रहे हैं. भारत ने पहाड़ों में युद्ध लड़ने की अपनी क्षमता मजबूत की है और अमेरिकी और रूसी हथियार खरीदे हैं. भारतीय सेना की लड़ने की क्षमता को कम करके नहीं आंकना चाहिए. लेकिन समस्या ये है कि भारतीय सैनिकों के पास सुनियोजित और संयुक्त मोर्चे से हमले की क्षमता नहीं है जोकि एक असली कॉम्बैट में बड़ी रुकावट है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारत को अमेरिका के समर्थन के बावजूद, पीएलए भारतीय सेना को हराने में सक्षम है. चीन ने 1962 के युद्ध में जीत हासिल की थी और भारत को इससे सबक लेना चाहिए. इसके अलावा, पीएलए की सैन्य क्षमता अब दशकों पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा मजबूत है. ‘अगर भारत सरहद पर गलती दोहराता है तो इतिहास दोहराया जाएगा’

चीनी अखबार ने लिखा है, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा समर्थक है. अगर भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ता है तो अमेरिका ये देखकर खुश होगा. वो भारत को अपनी तरफ लाने की कोशिश करेगा और भारत को अपनी गुट-निरपेक्ष की पुरानी नीति को तोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।

इसके बाद चीनी मीडिया ने कहा कि अगर चीन के साथ भारत का युद्ध होता भी है, तो भारत के मुकाबले चीन का सैन्य बल सबसे ज्यादा है, पूरी दुनिया इस बात से परिचित है। कल्पना कीजिए कि भारत के फाइटर जेट या टैंक पर हमला होता है. भारत के पास उत्पादन की सीमित क्षमता है और वह ज्यादातर सैन्य उपकरण और हथियार दूसरे देशों से

खरीदता है. जबकि चीन की पीएलए सैन्य संघर्ष में हुए नुकसान की तुरंत भरपाई कर सकती है क्योंकि चीन की इंडस्ट्री में उत्पादन करने की क्षमता है। इस लिहाज से भारत को इस युद्ध की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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